22/06/22
Indu Bala Singh
अस्सी वर्षीय श्वेता के कष्ट को महसूस करने वाला कोई न था । श्वेता को उसका भाई फूटी आँखों नहीं देखना चाहता था अपने पैतृक घर में ।
कभी न रोनेवाली अपने पिता का हाथ पकड़ कर रो रही थी। उसके पिता कह रहे थे - क्या हुआ ? … क्या हुआ ?
पर श्वेता के मुँह से बोल न फूट रहे थे ।
रोते रोते नींद खुल गयी श्वेता की। नींद खुलने पर हालाँकि उसे ज्ञान हो गया था कि वह सब स्वप्न था। पिता को गुजरे तो बीस वर्ष हो गये थे। स्वप्न में महसूस किया कष्ट तो सत्य था ।
नींद खुलने पर भी श्वेता दो मिनट तक रोती रही।
No comments:
Post a Comment