Sunday, December 6, 2020

वसीयत की मिठास



-इन्दु बाला सिंह 


पिता के गुजरने की खबर पाते ही दौड़ा आया विदेशी पुत्र राजेश शर्मा  ।भीड़भाड़ में सपरिवार नहीं आया वह । आख़िर परिवार को लाने का क्या फ़ायदा । माँ रो धो कर चुप रह गयी । 


राजेश को पिता जी की वसीयत देखने की हड़बड़ी थी । वह जानना चाहता था कि पिता ने किसके नाम अपना मकान लिखा है । हालाँकि वह एकलौता पुत्र था पिता का पर उसकी और तीन ब्याहता बहनें थीं ।अपनी माँ से रिश्तेदारों की बात चीत में सुन लिया था उसने कि वसीयत की एक नक़ल गादरेज आलमारी में पड़ी है । बस फिर क्या था उसने कुशलता से आलमारी का ताला तोड़ दिया और दुःखी माँ से कह दिया पता नहीं किसने ताला तोड़ दिया ।


वसीयत में लिखा था ... 


मेरी मौत अगर हो जाय तो मेरे मकान और बैंक के पैसों की मालकिन मेरी पत्नी रहेगी और मेरी पत्नी की मौत के बाद मेरी तीनों बेटियाँ और बेटा मालिक रहेंगे ।

डाक्टर क्वारंटायिन में हैं

 


09:01 AM 


31/07/20


-इन्दु बाला सिंह 


सत्यार्थी सरकारी कर्मचारी था । माँ को बुख़ार हुआ ।वह अपने माँ को प्राइवेट अस्पताल में ले गया ।डाक्टर ने भर्ती कर लिया सत्यार्थी जी माँ को । दूसरे दिन डाक्टर छुट्टी पर चला गया । सुनने में आया डाक्टर को कोरोना हो गया है । 

अब सत्यार्थी की माँ को डिस्चार्ज कर दिया गया ।


हार कर सत्यार्थी अपनी माँ को दूसरे प्राइवेट अस्पताल में ले गया। यहाँ डाक्टर ने पेशेंट देखते ही मना कर दिया भर्ती करने को ।क्रोध और छोभ से सत्यार्थी पागल सा हो गया । वह चिल्लाने लगा - मेरी माँ मर रही है और आप उसे भर्ती नहीं कर रहे हैं ?


 हॉस्पिटल का मालिक आ गया । पुलिस आ गयी ।

काफी बहस के बाद सत्यार्थी की माँ को अस्पतालवाले भर्ती किये अस्पताल में । दूसरे दिन डाक्टर क्वारंटाइन में चला गया।


सत्यार्थी की माँ को तीन दिन अस्पताल में रख कर डिस्चार्ज कर दिया गया ।