Sunday, December 6, 2020

वसीयत की मिठास



-इन्दु बाला सिंह 


पिता के गुजरने की खबर पाते ही दौड़ा आया विदेशी पुत्र राजेश शर्मा  ।भीड़भाड़ में सपरिवार नहीं आया वह । आख़िर परिवार को लाने का क्या फ़ायदा । माँ रो धो कर चुप रह गयी । 


राजेश को पिता जी की वसीयत देखने की हड़बड़ी थी । वह जानना चाहता था कि पिता ने किसके नाम अपना मकान लिखा है । हालाँकि वह एकलौता पुत्र था पिता का पर उसकी और तीन ब्याहता बहनें थीं ।अपनी माँ से रिश्तेदारों की बात चीत में सुन लिया था उसने कि वसीयत की एक नक़ल गादरेज आलमारी में पड़ी है । बस फिर क्या था उसने कुशलता से आलमारी का ताला तोड़ दिया और दुःखी माँ से कह दिया पता नहीं किसने ताला तोड़ दिया ।


वसीयत में लिखा था ... 


मेरी मौत अगर हो जाय तो मेरे मकान और बैंक के पैसों की मालकिन मेरी पत्नी रहेगी और मेरी पत्नी की मौत के बाद मेरी तीनों बेटियाँ और बेटा मालिक रहेंगे ।

No comments:

Post a Comment