Tuesday, October 24, 2023

एक रेलयात्रा



#इन्दु_बाला_सिंह


इलाहाबाद से उसे गंतव्य तक पहुँचाने वाली ट्रेन 


दो घंटे लेट थी ।


दो दिन की ट्रेन यात्रा वह औरत कर चुकी थी 


गोद में था ग्यारह माह का बच्चा 


और साथ में था एक रिश्तेदार ।


उन्हें किसीकी   ग़मी में पहुँचना था ।


 कम से कम छः बजे तेरही में शामिल तो होना ही था ।


बड़ी मुश्किल से मिले बस के दो टिकट ।


पुरुष तो बस के पीछे धक्का खाते खाते पहुँचा और 


महिला चतुराई से बस ड्राइवर के पास पहुँच गयी 


गोद बच्चा ले खड़ी महिला को एक घंटे बाद पहली  


क़तार के युवा ने अपनी सीट दे दी।


सीट मिलने पर उसकी जान में जान आई ।


बात बात में उसे पता चला कि सारे यात्री किसी एक 


समुदाय के हैं । बंबई में कोई तनाव हुआ है 


इसलिये सब एक बस रिज़र्व कर केअपने घर  

जा रहे हैं ।


सुन कर औरत की जान सूख गयी ।


बस रात आठ बजे उसे उसके गंतव्य पर उतार दी ।


औरत की जान में जान आई ।


दंगा पीड़ित मर्दों से भरी बस उसकी यादों में 


सदा बसी रही ।



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