#संस्मरण
यात्रा का -1
23/07/22
6:27PM
#इन्दु_बाला_सिंह
घर की बड़ी बेटी थी मैं और पिता के बहुत क़रीब थी । कहीं जाना हो तो वे मुझे साइकल पर बैठा कर ले जाते थे वे मुझे अपने साथ ।
मेरे पिता घूमने के खूब शौक़ीन थे । टीचर थे जबतक पिता मेरे गर्मी जी छुट्टियाँ होतीं थीं और हम छुट्टी के दूसरे दिन ही शहर के घर में ताला मार कर निकल पड़ते थे अपने गाँव यानि कि दादा के घर।
जौनपुर स्टेशन पर हम केराकत के लिये पैसेंजर ट्रेन पकड़ते थे। एक बार दो ट्रेनों के बीच काफ़ी समय था। और मुझे पिता जौनपुर घुमाने ले चले। मुझे इस समय मात्र एक घटना याद है - मस्जिद में जाना। मैं कौतूहल से उस मस्जिद को देख रही थी।
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