#इन्दु_बाला_सिंह
पिता के पास जीवन की सांध्यबेला में पुस्तकों के नाम पर केवल गीता और और अपनी डायरी थी ।
उनके गुजरने के बाद गीता और डायरी अलमारी में ताले के अंदर पड़ी रही ।
कपड़े मुश्किल से चार पाँच थे । गर्म कपड़ों के नाम पर स्वेटर और कोट थे ।उन्हें कि किसी नौकर को दान कर दिया गया ।
माँ के गुजरने के बाद अलमारी की चाभी बेटे के पास पहुँची ।
पिता की गीता और डायरी स्टोर में कबाड़ बन गयी ।
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