Friday, October 27, 2023

फ़्लैट

 


03/07/22


10:36 PM


Indu Bala Singh


रात के नौ बजे थे ।


किसी एक फ़्लैट से आवाज़ आ रही थी …. 


पापा …. पापा …..


एक औरत  के  रोने की आवाज़ आई ।


पापा ….. पापा …. 


औरत की चिल्लाने की आवाज़ आई ।


पापा …. पापा …..


बच्चे की आवाज़ से लग रहा था कि वह छोटा बच्चा था क्योंकि वो आगे कुछ नहीं बोल रहा था ।


छोटा सा फ़्लैट बालकनी विहीन ।इंसान उसी में कुहुस जाता है । 


आख़िर पापा की आवाज़ क्यों नहीं आ रही है ? मैंने सोंचा ।


कोई फ़्लैट किसी फ़्लैट से बात नहीं करता । आख़िर मेट्रो सिटी का फ़्लैट है ।



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