#इन्दु_बाला_सिंह
सुधीर किण्डर गार्टेन में के० जी० का छात्र था ।
उसकी माँ ने एक बार मुझसे बात क्या कर ली वह मुझे अपना दोस्त मान लिया ।
कहाँ मेरी अधेड़ उम्र और वो नन्हा सा बच्चा ।
दूसरी बार जब वह मुझे पार्क में देखा तो खुश हो गया । और ख़ुशी में दौड़ लगाने लगा ।
तीसरा दिन
वह मुझे देखते ही मुझे हथेली से पिस्तौल बना कर मेरा ध्यान आकर्षित करने लगा ।
मैंने कहा - अरे तुम मुझे गोली मारोगे ?
और वह भाग गया ।
मैंने सोंचा - कैसी माँ है इसकी ? यह बच्चा कैसा खेल
खेल रहा है । कहाँ से सीखा इसने गोली चलाने का
खेल ।
चौथे दिन फिर उसने ख़ाली हथेली से गोली चलाने
का अभिनय किया ।
थोड़ी देर में वह ख़ुद दौड़ने लगा ।
चौथे दिन वह अपनी माँ के साथ था ।
इस बार उसने कहा मैं आप दोनों को जेल में बंद कर दूँगा ।
फिर उसे याद आया अपनी माँ को जेल में बंद
करना ग़लत बात है ।
उसने अपनी माँ से कहा - मैं आपको जेल में नहीं
बंद करूँगा ।
फिर मेरी और देख कर उसने कहा - मैं आपको जेल
में बंद कर दूँगा ।
उच्च पदस्थ अधिकारी माँ अपने बच्चे की बातें सुन
आवक् रह गयी ।
और मैं सोंच रही थी -
यह बच्चा कैसा युवा बनेगा ?
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