Saturday, 13 August 2022
11:PM
#इन्दु_बाला_सिंह
माँ चल नहीं पाती थी।
पर नहाने के बाद दीवाल पकड़ पकड़ कर आलमारी के पास पहुँचती थी।
आलमारी के एक रैक पर उसके आराध्य शिव थे ।
मुश्किल से वह धूप बत्ती जला कर अपने आराध्य के सामने हाथ जोड़ती थी।
‘ बच्चे जहां रहें खुश रहें ।´
यही प्रार्थना कर वह अपने ईश्वर के सामने फिर से हाथ जोड़ देती थी ।
माँ के सपने अपने पति से जुड़े थे।
पति के गुजरने के बाद उसने अपनी स्थिति से समझौता कर लिया था।
उसे अपने बेटों से कोई आकांक्षा नहीं थी ।
सेविका के सहारे अपने मकान में कट गयी उसकी जीवन संध्या ।
No comments:
Post a Comment