Wednesday, 27 July 2022
1:43 AM
Indu Bala Singh
न जाने कैसे फ़ेसबूक के स्टेटस पढ़ते पढ़ते वह दो या तीन वर्षीय बिखरे बालों वाली स्टेशन के प्लेटफ़ार्म पर भीख माँगनेवाली लड़की याद आ गयी मुझे ।
वह मेरे पास आ कर बोली - ´ पाँच पैछे दो ।´
पुरानी घटना है । आज से पचास साल पुरानी … उस समय पाँच पैसे के सिक्के चलते थे । उस दिन मैं होस्टल से घर लौट रही थी।
उस बच्ची से मैंने ढेर सारी बातें की थी और उसे पाँच पैसे का सिक्का दिया था।
स्टेशन तो वही आज भी है पर वह नहीं और बहुत से बच्चे माँगते अब भी दिख जाते हैं । अब वे पाँच पैसे नहीं एक रुपये माँगते हैं ।
क्या हमारी गरीबी बढ़ती जायेगी ?
आज जीवन की संध्याकाल में निरुत्तर हूँ ।
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