Wednesday, July 15, 2020

पहले कमायी फिर ब्याह


- इन्दु बाला सिंह
' तेरी दो दो बेटियाँ हैं और तेरे देवर के पास दो बेटे । अपनी एक बेटी उसे देकर उससे एक बेटा ले ले । ' सासु माँ ने कहा था ।
' मेरी बेटी बेटे से कम नहीं । ' उसने सोंचा था ।
और ज़िंदगी चल निकली ।
नवविवाहता को यह न मालूम था कि उसका पति निकम्मा है । पर सासु माँ को अपने बेटे के गुण का पता था ।
घर के मुखिया पति पर क़र्ज़ चढ़ता चला गया ।
ज़िंदगी को आदर्श के साथ साथ आमदनी की भी ज़रूरत होती है ।
घर की बहू कमाने के लिये घर के बाहर निकल पड़ी ।
चिराग़ ले के ढूँढा दामाद ससुर का सिरदर्द बन गया ।
दिवालिया दामाद ने क़र्ज़मुक्त होने के लिये अपना मकान भी बेच दिया ।
मुसीबत में पति के साथ साथ सब अपने साथ छोड़ दिये ।
ख़ाली पिता अपने ब्याहता बेटी की खोज ख़बर रखते रहे । उन्हें अपने बेटों का भी तो ख़याल रखना था ।
कोई भला क्यों बोझ उठाये एक औरत और उसके दो बेटियों का ।
और वह सदा सोंचती रही , ' काश उसके पिता ने उसे , बेटों की तरह , पहले नौकरी करने लायक बनाया होता । उसके बाद उसका ब्याह करवाया होता । '

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