Wednesday, July 15, 2020

ब्रांडेड दुकान


02:13PM
15/07/20
-इन्दु बाला सिंह
घर से निकली मॉल के लिये मिसेज़ मिश्रा ।बड़ा सुहाना मौसम था । ठण्डी ठण्डी हवा चल रही थी ।
दस मिनट आटो के चलने के बाद उन्हें ठण्ड लगने लगी। उन्होंने सोंचा अब ट्रेफ़िक जाम को काट कर दूसरी सड़क पकड़ घर से कार्डिगन लेने से अच्छा है मॉल से ही नया कार्डिगन ही ख़रीद लिया जाय ।
मॉल में वे सबसे पहले ऊनी कपड़े की दूकान में गयीं । खूब देख परख कर उन्होंने एक सुंदर सा कोट ख़रीदा।हालाँकि उन्हें साड़ी के अंदर पैरों में भी ठण्ड लग रही थी पर वे थर्मोकॉटनहीं ख़रीदीं ।
पैक करने को कहने के बाद वे सहज ढंग से अपने मन की भावना सेल्सगर्ल से कह उठीं।
‘ घर से चली तो ठण्ड न लग रही थी । रास्ते में ठण्ड लगने लगी तो ऊनी कपड़ा ख़रीदना पड़ा ।’
सेल्सगर्ल ने अपनी ठण्डी हथेली मिसेज़ मिश्रा जी हथेली पर रख कर धीरे से कहा - ‘देखिये मेरी हथेलियाँ कितनी ठण्डी हैं । हमें स्वेटर पहनना एलाऊड नहीं है।
एक पल के लिये मिसेज़ मिश्रा अपराधबोध से ग्रसित हो गयीं। फिर उन्होंने सोंचा ... यह इतनी ब्रांडेड दूकान है ! और जाड़े के मौसम में अपनी सेल्सगर्ल के साथ ऐसा व्यवहार!
उस सेल्सगर्ल का चेहरा वे भूल गयीं पर उस सेल्सगर्ल की दूबली पतली काया व उसके शिकायती बोल रह रह कर उनके मानस पटल पर आजीवन टकराते रहे ।

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