Wednesday, July 15, 2020

मोनिका समझदार हो गयी


- इंदु बाला सिंह
" हमारे घर में कार नहीं है | फ्रिज नहीं है | टी ० वी ० भी नहीं है | मैं यहां नहीं रहूंगी | मैं भाग जाउंगी | " मोनिका ने मचल कर कहा |
" कहां भाग कर जाओगी ? " मां परेशान हो गयी |
" मैं सुमित के घर में रहूंगी | वे लोग अमीर हैं | "
" बेटा ! ऐसे नहीं बोलते | " मां ने समझाया |
मोनिका अपना बैग उठायी और सुमित के घर चल दी | शनिवार का दिन था | दुसरी सुबह स्कूल तो जाना नहीं था |
परेशान मां ने सुमित की मम्मी से अपने घर की घटना के बारे में बताया | और कहा कि मोनिका उसके घर गयी है हमेशा के लिये रहने के लिये |
सुमित और मोनिका की मायें पक्की सहेलियां थीं |
" तुम चिंता न करो मैं सब सम्हाल लूंगी | " सुमित की मम्मी ने आश्वासन दिया |
डाइनिंग टेबल पर सुमित और मोनिका डिनर करने बैठे |
" मोनिका बेटे ! आज तो तुमको मैं खाना खिला रही हूं , पर कल से तुम्हें अपने खाने का पैसा देना पड़ेगा | " सुमित की मम्मी ने मोनिका को चेताया |
" तुमको अपने स्कूल का फीस भी खुद ही देना पड़ेगा | "
" पर आंटी मैं पैसे कहां से दूंगी आपको | मेरे पास तो पैसे नहीं हैं | " मोनिका परेशान हो गयी |
" बेटे स्कूल की फीस खाने के पैसे तो मम्मी पापा देते हैं | मैं क्यों दूंगी ? मैं तो तुम्हारे दोस्त की मम्मी हुं | "
और दुसरी सुबह मोनिका ने अपने घर का कॉलिंग बेल बजाया | मम्मी पापा ने खुश हो इस संडे ' ओला ' बुक कर पिकनिक का प्रोग्राम बनाया |

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