Saturday, April 5, 2025

बुढ़ापा



-इंदु बाला सिंह 


" सुपू ! सुपू ! " नानी की आवाज दुसरे कमरे से आयी |

परेशान हो अपने बगल के बिस्तर में सोयी  अपनी माँ को देखा उसने |

इसी तरह उसके नाना भी आवाज लगाते थे अपने  बगल में सोये अटेंडेंट के न उठने पर |

परेशान थकेहाल उसकी माँ बीमार पड़ जाती थी और उसे अपनी माँ को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ता था | खर्च तो होता ही था परेशानी अलग से होती थी उसे |

" सुपू ! सुपू ! "

उसने देखा कि उसकी माँ बेसुध सो रही थी |

उसे भय था कि अगर अभी माँ जग जायेगी तो उसे अनिद्रा हो जायेगी |

" कर र र .. " अलार्म बजा |

जल्दी से उसने अलार्म बंद किया और मन ही मन अपने अपने शहरों में स्थित नानी के बेटे बहुओं के लिए उसने अपशब्द निकाले और बाथरूम में घुस गयी वह |

उसे ड्यूटी जाने की जल्दी थी |



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