Friday, April 4, 2025

अभिवादन


-इंदु बाला सिंह 

      

दुकान के सामने से गुजरते हुए एक दुबली पतली सी औरत को गोद में सात - आठ महीने के बच्चे को पकड़े अपनी तरफ आते देख मैं उसे पहचानने की चेष्टा करने लगी | जब तक मैं तक उसे पहचानूं  वह अपने बच्चे समेत झुक कर मेरे  चरण स्पर्श कर ली ...

एकाएक मेरे दिमाग में उसका नाम कौंधा ..'' अरे ! जयिता ! ''

यह मेरी पुरानी विद्यार्थी थी |

दुकानों की कतारों के सामने उसे इस प्रकार अभिवादन करते देख जहाँ मुझे थोड़ी खुशी हुयी वहीं झेंप भी लगी |

...''अरे ! तेरी शादी हो गयी ? ...कहाँ रहती है ? ''

...''यहीं ..पास में ही घर है | ''

...'' चलो अच्छा है ...मैका और ससुराल एक ही शहर में है | ''


मैं आगे बढ़ चली |

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