#इन्दू_बाला_सिंह
ज्योतिका का घर पूरा था । सास ससुर तीन देवर और एक ननद।
घर में झाड़ू बर्तन के लिए कामवाली थी पर तीन समय खाना बना के हल्कान रहती थी वह । गर्मी के मौसम एक घंटे पसीने में
रोटी बनाते बनाते पसीने में नहा जाती थी वह। घर का कोई सदस्य उसे रसोई में सहायता नहीं करता था । पच्चीस वर्षीय ज्योतिका को किसीसे कोई शिकायत नहीं थी । फिर शिकायत तो अपनों से की जाती है ।
ब्याह के तीन साल बाद ज्योतिका मां बननेवाली थी । पांच महीने के बाद गोद भराई की रस्म करने के लिए पहुंचे उसके ससुराल मेरे माता पिता।
बेटी को पसीने में नहाई रोटी बनाते देख मां तड़प उठी । उसने कहा दो मैं बनाती हूं रोटी और बेटी के हाथ से बेलन छीन लिया ।
ज्योतिका अपमानित हो उठी । पर कसक के रह गई ।
उसकी सास अपने बिस्तर पर लेट कर अपनी उपन्यास की पुस्तक में लीन थी और मां उसकी ससुराल में सबके लिए रोटी बना रही थी ।
ज्योतिका की गोद भराई कर के दूसरे दिन ज्योतिका के मारा पिता वापस लौट गए ।
ज्योतिका के सुख दुःख का ख्याल रखना उसके पति की जिम्मेवारी थी। और पति महोदय एक अच्छे पुत्र और भाई थे ।
रात में नशे में लौट खा पी कर मस्त अपने भविष्य से निश्चित सोनेवालों में से थे ।
No comments:
Post a Comment