#इन्दू_बाला_सिंह
पिता ने अपने जीते जी रमी का राशन कार्ड बनवा दिया था । उसे अलग ख़ाना बनाने बोले थे । हर मुसीबत में वे अपनी बेटी के साथ खड़े थे ।
चार बच्चों की माँ रमी को अपने भरोसे जीना सिखाना चाहते थे । पिता माँ आख़िर कितने दिन साथ रह पायेंगे । उनका उतरने का स्टेशन तो पहले ही आनेवाला था । रमी का जीवनसाथी उसे किराये के घर में छोड़ कर ग़ायब हो गया था । और रमी जीवन की धूप झेल रही थी ।
पिता अपनी बेटी के नाम भी अपने मकान में एक कमरा लिख गये ।
पिता माता के गुजरने के बाद अब उसके बच्चे थे । उन बच्चों पर बहुतों की निगाहें थीं । आख़िर अकेली औरत कितनी आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा दे पायेगी अपने बच्चों को ?
मेरे सामने वह परिवार पल रहा था ।
मैंने सोंचा - काश रमी दूसरा ब्याह कर लेती किसी ज़रूरतमंद और पैसेवाले इंसान से ।
मेरे मन ने प्रश्न किया - तो क्या बच्चे दूसरे व्यक्ति को अपना पिता मान पाते ? शायद कभी नहीं ।
अपने बच्चों की ज़िम्मेवारी के स्नेह बंधन में बँधी निश्चिंत थी रमी।
#indubalasingh #laghukatha
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