Saturday, September 21, 2024

ग्यारहवीं कक्षा की छात्रा



#इन्दु_बाला_सिंह


‘आपने सुना ! अनन्या ने सुसाइड कर लिया है । 


पढ़ाई में तो ठीक ठाक थी । न जाने क्यों उसने 


ऐसा कदम उठाया ।’


‘ अरे ! कब !’ मैं अपनी पड़ोसन का कथन सुन 


चौंक पड़ी  ।


मेरे लिये यह झटका था । 


मैंने उसे एक बार पार्क में खेलते हुये देखा था । 


उस  ग्यारहवीं कक्षा की छात्रा का चेहरा मेरी 


आँखों के सामने कौंध गया ।


पड़ोसन बोली - ‘ सुसाइड का कारण अभी तक 


पता नहीं चला है  । ‘


मैं सोंचने लगी -


कितनी शांत  शिष्ट लड़की थी । 


सड़क से अपने घर में लौट आई मैं ।


चुपचाप सोंचने लगी -


आख़िर किसका दोष है । माँ बाप की इकलौती 


संतान का ये अंत ! .. हो सकता है कोई उसे 


आनलाइन धमकी दे रहा हो । उसकी फ़ोटो 


किसी पोर्न साईट पर डाल दिया हो । मेरे दिमाग़ 


में कितनी बातें घूमने लगीं । 


लड़की को बड़ा करना , उसे समझदार और 


ज़िम्मेदार इंसान बनाना भी कितना कठिन काम 


है । 


अख़बार की खबरों में लिखा रहता है लड़कियों 


के लिये समाज ख़तरनाक होता  जा रहा है ।


काश स्कूलों में हर महीने टीचर पैरेंट मीटिंग 


होती । 


शिक्षक और अभिभावक् बच्चे के क़रीब आ पाते ।


ख़ाली घटना होने पर  सोंचने से तो कुछ नहीं 


होगा । 


-मैंने सोंचा ।


काश शिक्षक अनन्या  का मन पढ़ पाते ।


आज तो एक की नौकरी से घर चलाना मुश्किल 


हो गया है । माँ बाप दोनों अपनी  अपने नौकरी 


बचा पाने में संघर्षरत हैं ।


अनन्या की याद आते  ही मेरा  दिल बैठ गया ।


काश पड़ोसन की  खबर झूठी हो ।


और दूसरे दिन  शहर के समाचारपत्र के दूसरे 


पन्ने पर स्कूल के नाम के साथ अनन्या के 


सुसाइड की खबर छपी थी ।



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