काम करवाते हैं पर पी० एफ० नहीं । पेंशन की गुंजाइश नहीं । आठ हजार रुपए तनख्वाह पर । सच्चिदानंद नाम था उसका। लोग उसे सची कह के बुलाते थे । वह हमारे घर कुकिंग गैस का सिलेंडर पहुंचाता था । गैस चूल्हा भी इतवार को आ कर रिपेयर कर देता था ।
इस बार सची जब सिलेंडर पहुंचाने आया तो मायूस था ।
' दीदी अगले महीने मैं रिटायर हो जाऊंगा । '
मैं चौंक गई ।
तो अब क्या करोगे ?- मैंने पूछा
' गांव चला जाऊंगा । गांव में मेरे पिता हैं '
' और वहां करोगे क्या ? '
' गांव में हमारा खेत है । घर है । '
मैने सोचा कितना खेत होगा ? छोटा सा खेत होगा । मकान होगा जिसमें बहुत से रिश्तेदार रहते होंगे ।
सची की पत्नी तो जल कर मर गई थी किचेन में । एक बेटा है अब जो काम मिले तो करता है वरना घर में बैठा रहता है । मतलब पिता पर निर्भर है । पांच छः साल पहले एक्सीडेंट में पैर दोनों टूट गए थे उसके । दयालु व्यक्तियों की सहायता से जिंदगी बची । कमजोर टांगों से साइकिल खींचता है वह ।
बुढ़ापा कितना कष्टदायक होगा सची का मैं समझ सकती हूं ।
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