Wednesday, January 29, 2025

नजरिया

   


१९७२


-इंदु बाला सिंह 


श्रीमती जी ने दूध माप कर बर्तन में डालती हुयी दूधवाली से पूछा - तेरी लडकी की शादी ठीक ठाक हो गयी न ?

--- हाँ बीबी जी |

--- दामाद क्या करता है ?

--- मास्टरी करता है |

--- मैट्रिक पास करके ?

--- नहीं जी ! बी. ए. पास कर के |

मारे आश्चर्य के श्रीमती का मुंह खुला का खुला रह गया |

--- उसके पास जमीन जायदाद है ?

--- तीस बीघा जमीन है |

--- क्या क्या दिया लड़की को ?

--- तीन ठो चांदी की सिकड़ी |

--- तुम लोग रूपया नहीं देते ?

--- नहीं बीबी जी |

--- हम लोगो का तो शादी पर बहुत खर्चा होता है | हमने तो अपनी लड़की को कंगन , चूडियाँ , हार , अंगूठी , रेडियो ,   

   सोफा , पलंग और ऊपर से तीन हजार रुपया भी दिया है |

--- तब तो आपका दामाद बहुत पढ़ा लिखा होगा | बड़े बड़े खेत खलिहान होंगे उसके पास|

श्रीमती जी का चेहरा सफ़ेद पड़ गया | दूधवाली से अपना बरतन पकडती हुयी बोली --- आज तो दूध पतला लग रहा है |

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