Sunday, June 16, 2019

हरि इच्छा


- इन्दु बाला सिंह


ये मेरा छोटा बेटा मेरे साथ गाँव में ही रहेगा । कोर्ट में लगा दूँगा इसे । सबकी चिट्ठी पत्री लिखेगा । बीमार रहता है न यह । .... रमेश प्रसाद का विचार था ।


अठारह की उम्र का होते होते पिता ने अपने छोटे बेटे विष्णु प्रसाद का ब्याह कर दिया ।

विष्णु प्रसाद जी ने पिता से लड़ के सी ० टी ० ट्रेनिंग कर ली ।

पर ईश्वर के मन में कुछ और था ।

फिर तो वे रुके नहीं ।

वे शहर में एक प्राइवेट स्कूल में नौकरी करने लगे ।

और वे अपनी पढ़ायी भी जारी रखे ।

उन्होंने प्राईवेट पढ़ायी करते हगे एम ० ए ० बी० एड ० पास करने के साथ साथ पाँच बेटे और बेटियों के पिता भेर बने ।

उन्हें अपने ब्च्चों को उनकीं मनचाही शिक्षा दिलाया और उनका उनका ब्याह भी करवा दिया ।

विष्णुप्रसाद जी एजुकेशन अफ़िसर पद से रिटायर हुए ।

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