16 July
2015
15:43
-इंदु बाला
सिंह
चार
साल की छोटी बच्ची अपनी गोद में छ: महीने
की बहन लिये खड़ी थी सड़क पर | पास में शादी हो रही थी |
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आधी रात को
नींद खुल गयी बच्ची की |
माँ उसकी बहन
को गोद में लिये रो रही थी |
बगल कमरे से
बड़ी माँ आयी और उस बच्ची को ले कर अपने कमरे में चली गयी | डरी हुयी बच्ची
दुसरे कमरे में सो गयी |
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उस बच्ची की
बहन मर चुकी थी |
बरसों बाद उस
बच्ची को पता चला कि उस की बहन को दिफ्थेरिया हुआ था |
उस बच्ची के
पिता दुसरे शहर में नौकरी करते थे |
पांच साल की
बच्ची पिता के साथ पैदल स्कूल जा रही थी | वह खुश थी | पिता के कदम से कदम न मिला
पा रही थी वह बच्ची | बार बार पीछे छूटी जा रही थी वह |
छ: साल की बच्ची माँ के पास कमरे में ज्यों ही घुसने
लगी एक खून से सने हाथवाली औरत ने उसे रोक दिया | हाथ का खून देख डर गयी वह बच्ची |
उस बच्ची की
माँ ने एक बेटी पैदा की थी
' नहीं मैं
नहीं खाऊंगी भात दाल | मुझे खिचड़ी खानी है | ' बच्ची को केवल खिचड़ी भाती थी |
भाभी लकड़ी के
चूल्हे के सामने लकड़ी के जलते कोयले को बाहर निकाल उसी पर एक छोटी बटुली में थोड़ा
पका दाल और चावल डाल कर रख देती थी | बस छोटी बच्ची को खिचड़ी मिल जाती थी रोज खाने
में |
' मेरे पास
क्यों घुसती है ... जा अपने भतार के पास | '
भाभी चिपकी ननद को हर समय छेड़ती थी |
|
छोटी बच्ची
सोंचती थी |
' कितनी गलत
बात बोलती है भाभी | मेरा चचेरा भाई क्या मेरा भतार है ? '
उस छ: वर्षीय
बच्ची को भतार शब्द का मतलब समझ आ चूका था |
पूजा का
प्रसाद हाथ में ले कर लौट रही छोटी बच्ची और पीछे पीछे प्रसाद के लालच में चलता
कुत्ता कितना भयभीत पल था |
उस प्रसाद को
घर अपनी माँ तक पहुंचाना था उस बच्ची को |
वह भय आज भी
महसूस कर सकती हूँ मैं |
और आज सोंचती
हूं क्यों नहीं फेंक दी वह छोटी बच्ची अपने हाथ का प्रसाद सडक पर | कम से कम
कुत्ते के भय से तो मुक्त हो जाती वह |
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