स्निग्धा
चार बच्चों की माँ थी ... तीन बेटी और एक
बेटा |
पति महोदय दस
वर्ष पहले ही कहीं चले गये थे | और किसी ने खोजा भी नहीं था उन्हें |
स्निग्धा नौकरी कर के अपने चारों बच्चों का लालन पालन कर
रही थी | वह काम पर जाते वक्त साधारण कपड़े पहनती थी | उसके चेहरे पर इतनी गरिमा
रहती थी कि कोई उससे व्यक्तिगत प्रश्न पूछ ही नहीं पाता था |
भाई का विवाह
तय हुआ | विवाह में बरती बन कर जाना था उसे |
सज धज कर जब
निकली वह अपने बच्चों के साथ |
" अरे !
मांग सूनी है बिटिया की .. सिन्दूर लगा दो भई !..." चाची ने कहा और लपक के
स्निग्धा की मांग में सिन्दूर लगा दी |
चेहरा दमक गया
स्निग्धा का पर मन भींग गया |
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