Sunday, August 4, 2013

लड़की की लड़ाई

" हमें कुछ नहीं चाहिए ...केवल लड़की चाहिए | " मंडप में समधी का ये वाक्य सुनते ही पिता ने एक सूटकेस कपड़े के साथ विदा कर दिया बेटी |
पति निकम्मा ,सास ससुर मौन ,जेठ जेठानी शेर | कुछ ही दिनों बाद लड़ाई झगड़ा के बाद  हाथ भी चलने लगा जेठ का | पोस्टमैन पिता की बेटी  सुरुची बिलबिला उठी | मैके गयी तो वापस लौटने का नाम न ली |
कुछ माह पश्चात ससुर विदा कराने गए बहु तो सुरुची दौड़ पड़ी गंगा की ओर डूबने |
" बिटिया नहीं जाना चाहती तो मैं क्या करूं | " दुखी मन से बोले लड़की के पिता |
किसी तरह हाथ जोड़ कर विदा किया सुरुचि के पिता ने शहरी समधी को |

सुरुचि के पति को तो कोई लड़की न मिली व्याहने को पर एक पुत्र पैदा हुआ सुरुचि को और कालान्तर में सैनिक बन उसने  देश की सेवा की व माँ की शान भी वह  रखा |

No comments:

Post a Comment