12
October 2015
11:45
एक
बार एक बटोही अकेले शहर की ओर अपने मित्र
से काम की तलाश में मिलने जा रहा था |
गर्मी का मौसम
था | राह में कोई छायादार पेड़ न था | प्यासा बटोही चलता जा रहा था |
सामने उसे एक
पेड़ दिखाई दिया |
बटोही ने
सोंचा -
इसी पेड़ के
नीचे विश्राम कर लेता हूं |
बटोही बरगद के
पेड़ के नीचे बैठ गया |
बटोही ने सोचा
-
काश मुझे पानी
मिल जाता |
तभी बटोही ने
देखा एक ग्रामीण उसकी ओर आ रहा है | उसके हाथ में जल भरा लोटा है | पेड़ के नीचे
रुके बटोही को देख उस ग्रामीण ने उसे पानी पिला दिया |
थोड़ी देर में
बटोही को भूख लगी | उसने सोंचा -
काश कोई उसे
भोजन करा देता |
थोड़ी देर में
बटोही ने देखा कि जिस ग्रामीण ने उसे पानी पिलाया था वही थाली में भोजन और एक लोटे
में पानी ले कर उसकी ओर आ रहा है |
बड़े प्यार से
उस ग्रामीण ने बटोही को भोजन कराया और
पानी पिलाया |
बटोही भजन कर
कर के तृप्त हुआ | फिर उसने सोंचा -
अभी तो दोपहर
है सिर पर सूरज तप रहा है | काश खाट मिल जाती और वह थोड़ी झपकी ले लेता |
तभी बटोही ने
देखा कि वही ग्रामीण एक खाट ले के उसकी ओर आ रहा है |
बटोही को
लेटने के लिये अब खाट भी मिल गयी थी |
बटोही खाट पर
लेट गया और सोंचा -
जो मैं सोंचता
हूं वह हो जाता है | इस सूनी जगह में मुझे आरामदायक सुविधायें मिल गयीं |
उसे ज्ञान न
था कि वह कल्पवृक्ष के नीचे आराम कर रहा है | वही कल्पवृक्ष जो अपने नीचे खड़े हर
व्यक्ति की मनोकामना पूरी करता है |
अब वह डर गया
|
अगर यहाँ शेर
आ जाये तो ?
और पल भर में
एक शेर उसके सामने आ गया |
शेर ने एक
दहाड़ मारी और बटोही को फाड़ कर खा गया |
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