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October 2014
16:20
-इंदु बाला
सिंह
"
मैडम ! मेरा रुपया चोरी हो गया है | " दसवीं कक्षा के रूपेश ने मिस श्वेता
से शिकायत की |
" कैसे ?
"
" मैडम !
मैंने पेंसिल वाले बैग में डाल कर अपने स्कूल बैग में रखा था उसे | हमारा स्मार्ट
क्लास था | वापस आया तो देखा कि रुपया नहीं है
| "
" मैडम !
मेरा पांच सौ का नोट था | " रूपेश की सुरत रुआंसी हो गयी थी |
" ठीक है
| अगला पीरियड मेरा ही है | मैं पूछूंगी क्लास में | "
और जब मिस
श्वेता ने रूपेश के पाच सौ के नोट की चोरी के बारे में छात्रों से पूछा तब सभी
छात्र मुकर गये |
हार कर पॉकेट की तलाशी हुयी लड़के लडकियों की |
सबके स्कूल
बैग की भी तलाशी हुयी पर पाच सौ के नोट को तो ऐसा लग रहा था मानो कोई निगल गया हो
|
" रूपेश
! तुम ऑफिस के कैमरे में नहीं चेक किये ? " परेशान हो कर मिस श्वेता ने पूछा
|
" मैडम
मैं गया था | मुझे आफिस में बोले कि जा के अपनी क्लास टीचर से बोलो | "
" ओ ० के
० | तुम रेसेस में जाना आफिस और बोलना कि
मिस श्वेता ने भेजा है | "
पूरे स्कूल व
क्लास में कैमरा लगा था और कैमरे की आँख से बच पाना मुश्किल था चोर का |
रेसेस खत्म
होने पर आया रूपेश |
" मैडम !
मेरे रूपये वीरेन्द्र ने चुराए हैं | मैंने देखा है कैमरे में |
वह क्लास में
घुसा | मेरे डेस्क के पास गया | मेरा स्कूल बैग खोला | फिर उसने मेरा पेंसिल वाला
बैग भी खोला | उसने पेन्सिल बैग से कुछ निकाला
और उस चीज को नीचे गिरा दिया | फिर
स्कूल बैग बंद कर के वह नीचे झूका | उसके बाद वह क्लास से बाहर निकल गया | .. मैडम
! जरूर उसने अपने जूते में छुपा लिया होगा | "
रूपेश ने
कैमरे में दिखते दृश्य का वर्णन किया |
" मैडम !
बुलाऊं वीरेन्द्र को ? "
" ठीक है
बुलाओ | " मिस श्वेता ने कहा |
तीन मिनट बाद
वीरेन्द्र मिस श्वेता के सामने खड़ा था |
"
वीरेन्द्र ! तुमने रूपेश के रूपये चुराए हैं ? " गरजी मिस श्वेता |
" नहीं
मिस | " वीरेन्द्र तुरंत मुकर गया |
" अपने
जूते उतारो | " फिर गरजी मिस श्वेता |
वीरेन्द्र ने
बांये पैर का जूता-मोजा उतर दिया और खड़ा हो गया |
" दुसरे
पैर का भी उतारो | " फिर गरजी मिस श्वेता |
अब बचने का
चारा नहीं था वीरन्द्र के पास |
" हां
मैडम , मैंने लिए थे रूपये | " मिमियाते हुये कहा वीरेन्द्र ने और झुक कर वह अपने दायें पैर के जूते से पांच
सौ का नोट निकाल कर पकड़ा दिया मैडम को |
" मैडम !
मेरे रूपये मिल गये | मत सजा दीजियेगा वीरेन्द्र को " रूपये मिलते ही रूपेश
ने कहा |
मिस श्वेता ने
रूपेश की बात अनसुनी कर दी |
"
वीरेन्द्र ! मुझे मालूम है तुम्हारे पिता अच्छी नौकरी करते हैं ..फिर भी तुमने
रूपये चुराये ... आखिर क्यों ? " नम्र स्वर में मिस श्वेता ने पूछा वीरेन्द्र
से |
वीरेन्द्र
चुपचाप खड़ा रहा | उसकी चोरी पकड़ी गयी थी | वह अपराधी था मैडम के सामने |
" क्या
तुम जानते हो अब कुछ भी चोरी होगा तो क्लास में तुम्हारे मित्र कहेंगे कि
वीरेन्द्र ने ही चुराये हैं | " फिर मिस श्वेता ने प्रश्न किया वीरेन्द्र से
|
वीरेन्द्र की
तो जबान तालू से चिपक गयी थी |
" अच्छा
जाओ और कभी मत चुराना किसी का कुछ | "
" जी
मैडम | "
और दोनों
छात्र निकल गये स्टाफ रूम से |
मिस श्वेता ने
सोंचा कि अगर कैमरे में चोर न दिखता तो
क्या होता |
सामने कापी का
बंडल इन्तजार कर रहा था चेकिंग के लिये मिस श्वेता का अतः उन्होंने अपनी लाल कलम
अपने पर्स से निकाल ली |