Tuesday, July 22, 2025

स्वप्न


 

 

 

 घर में भूतनाथ नामक साधु आए थे  । पिता ने बुलाया था ।

 

घर में वे आए पूजा हुआ । वे खाना खाए और चले गए।

 

मां ने रात में स्वप्न देखा शंकर भगवान आए हैं घर में और बोल रहे हैं - तूने किसे बुलाया था घर में ।

 

 

सबेरे  मां डर कर उठी

Saturday, April 5, 2025

पागल सुधीर



-इंदु बाला सिंह 


माता पिता मस्त थे बेटा सुधीर भी अपनी दुनियां में खुश था | मेट्रिक भी न पास कर सका वह |


ठगी और चोरी चमारी भी न सीख सका सुधीर | सीधा सादा युवा आज की दुनिया का स्वाभिमानी मूर्ख बन गया था |रिश्तेदार उसे पागल कहते थे | पत्नी रख न पाया माँ की भी मृत्यु हो गयी | वैसे लगभग चार करोड़ मकान का मालिक सुधीर और उसके बड़े भाई थे |


खुद काम ढूंढ न पाया और पिता भी उसे किसी काम में लगवा न पाए |


एक दिन देखा मैंने सड़क के किनारे बैठ कर सुधीर किसी की हजामत बना रहा है | वैसे कोई काम छोटा नहीं होता पर उस क्षत्रिय पुत्र को हजामत बनाते देख दुख हूआ |


फिर सुना शहर के एक क्लब में बेयरे की नौकरी लग गयी है उसे | पी ० एफ ० और मेडिकल फैसिलिटी भी मिल रही है उसे | पी ० एफ ० का नामिनी उसने अपने भाई के पुत्र को बना दिया है |

लड़की की लड़ाई

 


-इंदु बाला सिंह 


" हमें कुछ नहीं चाहिए ...केवल लड़की चाहिए | " मंडप में समधी का ये वाक्य सुनते ही पिता ने एक सूटकेस कपड़े के साथ विदा कर दिया बेटी |

पति निकम्मा ,सास ससुर मौन ,जेठ जेठानी शेर | कुछ ही दिनों बाद लड़ाई झगड़ा के बाद  हाथ भी चलने लगा जेठ का | पोस्टमैन पिता की बेटी  सुरुची बिलबिला उठी | मैके गयी तो वापस लौटने का नाम न ली | 

कुछ माह पश्चात ससुर विदा कराने गए बहु तो सुरुची दौड़ पड़ी गंगा की ओर डूबने |

" बिटिया नहीं जाना चाहती तो मैं क्या करूं | " दुखी मन से बोले लड़की के पिता |

किसी तरह हाथ जोड़ कर विदा किया सुरुचि के पिता ने शहरी समधी को |

सुरुचि के पति को तो कोई लड़की न मिली व्याहने को पर एक पुत्र पैदा हुआ सुरुचि को और कालान्तर में सैनिक बन उसने  देश की सेवा की व माँ की शान भी वह  रखा |

मांग सूनी है भई !



-इंदु बाला सिंह 


स्निग्धा चार बच्चों की माँ थी ... तीन बेटी और एक बेटा |

पति महोदय दस वर्ष पहले ही कहीं चले गये थे | और किसी ने खोजा भी नहीं था उन्हें | 

स्निग्धा  नौकरी कर के अपने चारों बच्चों का लालन पालन कर रही थी | वह काम पर जाते वक्त साधारण कपड़े पहनती थी | उसके चेहरे पर इतनी गरिमा रहती थी कि कोई उससे व्यक्तिगत प्रश्न पूछ ही नहीं पाता था |

भाई का विवाह तय हुआ | विवाह में बाराती  बन कर जाना था उसे | 

सज धज कर जब निकली वह अपने बच्चों के साथ |

" अरे ! मांग सूनी है बिटिया की .. सिन्दूर लगा दो भई !..." चाची ने कहा और लपक के स्निग्धा की मांग में सिन्दूर लगा दी |

चेहरा दमक गया स्निग्धा का पर  मन भींग गया |

मित्रता

 


-इंदु बाला सिंह 


" मैंने मित्रता कर ली है अपने भूत से | " श्रेया ने हंस कर कहा |

" वो भला कैसे ? "

" अरे ! छोटी सी बात है ...मैं अपने घर में सदा एक बुजुर्ग रिश्तेदार रखी रहती हूँ | "

छठ की छुट्टी

 


-इंदु बाला सिंह 


छठ पर्व की छुट्टी मात्र एक दिन होती थी विद्यालय में |

सुबह विद्यालय का यूनिफार्म ले कर  परिवार के साथ छठ का अर्ध्य देने गया था सुधीर | वहां से उसका सीधे विद्यालय जाना चाहता था | 

एकाएक उसने देखा नहाते समय उसके  भाई को नदी की लहर बहा ले गयी है | उसने अव देखा न ताव भाई को बचाने के लिए कूद पड़ा नदी में |

सुधीर पानी के चक्रवात में फंस गया और डूब गया , पर उसके छोटे भाई को औरों ने बचा लिया | 

इस घटना के बाद से छठ त्यौहार की छुट्टी विद्यालय में दो दिन की होने लगी |

छठ त्यौहार का अर्ध्य तो पहले दिन शाम को और दूसरे दिन सुबह दिया जाता है | अतः छुट्टी तो दो दिन ही दी जानी चाहिए |

लडकियों से कम बात करना

 


-इंदु बाला सिंह 


" तुमने गाली नहीं दी है तो कोई बात नहीं ...अगर गाली दी है तुमने तो भविष्य में मत देना | " प्रिंसिपल ने समझा बुझा कर दसवीं कक्षा के छात्र को विदा कर दिया था |

पिटाई तो अब की नहीं जा सकती थी | 


कल तीन लडकियों ने रितेश के बारे में कम्पलेन किया था प्रिंसिपल को  |


आज फिर एक लड़के को ले कर पहुँच गया था आफिस में ..." मैडम ! पूछिये इस लडके से मैंने नहीं दी थी गाली उन लड़कियों को |"

" तुम मेरे पास सबूत क्यों लाये हो ? " प्रिंसिपल गर्म हो गयी |

छात्र भी अकड़ गया .." तो मैडम आप मेरे माता पिता को क्यों बुलाई हैं ?"

अब प्रिंसिपल नर्म हुयी .." मैंने ऐसे ही बुलाया है | ... जानते हो ये लडकियां थाने में कम्पलेन कर देंगी तो तुम्हे कोई नहीं बचा पायेगा | "

" तो मैं क्या करूं ? " छात्र डर गया |

" कुछ नहीं ..तुम क्लास में जाओ ..और लड़कियों से कम बात करना | "