घर में भूतनाथ नामक साधु आए थे । पिता ने बुलाया था ।
घर में वे आए पूजा हुआ । वे खाना खाए और चले गए।
मां ने रात में स्वप्न देखा शंकर भगवान आए हैं घर में और बोल रहे हैं - तूने किसे बुलाया था घर में ।
सबेरे मां डर कर उठी ।
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घर में भूतनाथ नामक साधु आए थे । पिता ने बुलाया था ।
घर में वे आए पूजा हुआ । वे खाना खाए और चले गए।
मां ने रात में स्वप्न देखा शंकर भगवान आए हैं घर में और बोल रहे हैं - तूने किसे बुलाया था घर में ।
सबेरे मां डर कर उठी ।
-इंदु बाला सिंह
माता पिता मस्त थे बेटा सुधीर भी अपनी दुनियां में खुश था | मेट्रिक भी न पास कर सका वह |
ठगी और चोरी चमारी भी न सीख सका सुधीर | सीधा सादा युवा आज की दुनिया का स्वाभिमानी मूर्ख बन गया था |रिश्तेदार उसे पागल कहते थे | पत्नी रख न पाया माँ की भी मृत्यु हो गयी | वैसे लगभग चार करोड़ मकान का मालिक सुधीर और उसके बड़े भाई थे |
खुद काम ढूंढ न पाया और पिता भी उसे किसी काम में लगवा न पाए |
एक दिन देखा मैंने सड़क के किनारे बैठ कर सुधीर किसी की हजामत बना रहा है | वैसे कोई काम छोटा नहीं होता पर उस क्षत्रिय पुत्र को हजामत बनाते देख दुख हूआ |
फिर सुना शहर के एक क्लब में बेयरे की नौकरी लग गयी है उसे | पी ० एफ ० और मेडिकल फैसिलिटी भी मिल रही है उसे | पी ० एफ ० का नामिनी उसने अपने भाई के पुत्र को बना दिया है |
-इंदु बाला सिंह
" हमें कुछ नहीं चाहिए ...केवल लड़की चाहिए | " मंडप में समधी का ये वाक्य सुनते ही पिता ने एक सूटकेस कपड़े के साथ विदा कर दिया बेटी |
पति निकम्मा ,सास ससुर मौन ,जेठ जेठानी शेर | कुछ ही दिनों बाद लड़ाई झगड़ा के बाद हाथ भी चलने लगा जेठ का | पोस्टमैन पिता की बेटी सुरुची बिलबिला उठी | मैके गयी तो वापस लौटने का नाम न ली |
कुछ माह पश्चात ससुर विदा कराने गए बहु तो सुरुची दौड़ पड़ी गंगा की ओर डूबने |
" बिटिया नहीं जाना चाहती तो मैं क्या करूं | " दुखी मन से बोले लड़की के पिता |
किसी तरह हाथ जोड़ कर विदा किया सुरुचि के पिता ने शहरी समधी को |
सुरुचि के पति को तो कोई लड़की न मिली व्याहने को पर एक पुत्र पैदा हुआ सुरुचि को और कालान्तर में सैनिक बन उसने देश की सेवा की व माँ की शान भी वह रखा |
-इंदु बाला सिंह
स्निग्धा चार बच्चों की माँ थी ... तीन बेटी और एक बेटा |
पति महोदय दस वर्ष पहले ही कहीं चले गये थे | और किसी ने खोजा भी नहीं था उन्हें |
स्निग्धा नौकरी कर के अपने चारों बच्चों का लालन पालन कर रही थी | वह काम पर जाते वक्त साधारण कपड़े पहनती थी | उसके चेहरे पर इतनी गरिमा रहती थी कि कोई उससे व्यक्तिगत प्रश्न पूछ ही नहीं पाता था |
भाई का विवाह तय हुआ | विवाह में बाराती बन कर जाना था उसे |
सज धज कर जब निकली वह अपने बच्चों के साथ |
" अरे ! मांग सूनी है बिटिया की .. सिन्दूर लगा दो भई !..." चाची ने कहा और लपक के स्निग्धा की मांग में सिन्दूर लगा दी |
चेहरा दमक गया स्निग्धा का पर मन भींग गया |
-इंदु बाला सिंह
" मैंने मित्रता कर ली है अपने भूत से | " श्रेया ने हंस कर कहा |
" वो भला कैसे ? "
" अरे ! छोटी सी बात है ...मैं अपने घर में सदा एक बुजुर्ग रिश्तेदार रखी रहती हूँ | "
-इंदु बाला सिंह
छठ पर्व की छुट्टी मात्र एक दिन होती थी विद्यालय में |
सुबह विद्यालय का यूनिफार्म ले कर परिवार के साथ छठ का अर्ध्य देने गया था सुधीर | वहां से उसका सीधे विद्यालय जाना चाहता था |
एकाएक उसने देखा नहाते समय उसके भाई को नदी की लहर बहा ले गयी है | उसने अव देखा न ताव भाई को बचाने के लिए कूद पड़ा नदी में |
सुधीर पानी के चक्रवात में फंस गया और डूब गया , पर उसके छोटे भाई को औरों ने बचा लिया |
इस घटना के बाद से छठ त्यौहार की छुट्टी विद्यालय में दो दिन की होने लगी |
छठ त्यौहार का अर्ध्य तो पहले दिन शाम को और दूसरे दिन सुबह दिया जाता है | अतः छुट्टी तो दो दिन ही दी जानी चाहिए |
-इंदु बाला सिंह
" तुमने गाली नहीं दी है तो कोई बात नहीं ...अगर गाली दी है तुमने तो भविष्य में मत देना | " प्रिंसिपल ने समझा बुझा कर दसवीं कक्षा के छात्र को विदा कर दिया था |
पिटाई तो अब की नहीं जा सकती थी |
कल तीन लडकियों ने रितेश के बारे में कम्पलेन किया था प्रिंसिपल को |
आज फिर एक लड़के को ले कर पहुँच गया था आफिस में ..." मैडम ! पूछिये इस लडके से मैंने नहीं दी थी गाली उन लड़कियों को |"
" तुम मेरे पास सबूत क्यों लाये हो ? " प्रिंसिपल गर्म हो गयी |
छात्र भी अकड़ गया .." तो मैडम आप मेरे माता पिता को क्यों बुलाई हैं ?"
अब प्रिंसिपल नर्म हुयी .." मैंने ऐसे ही बुलाया है | ... जानते हो ये लडकियां थाने में कम्पलेन कर देंगी तो तुम्हे कोई नहीं बचा पायेगा | "
" तो मैं क्या करूं ? " छात्र डर गया |
" कुछ नहीं ..तुम क्लास में जाओ ..और लड़कियों से कम बात करना | "