Friday, April 4, 2025

रिश्ता भाई का



-इंदु बाला सिंह 


" मैं भी एक कमरे में रहती हूँ | " उसकी सहकर्मी लड़की माया ने कहा | 

एक वर्ष पहले उसकी माँ ने फांसी लगा ली थी और कुछ महीने पश्चात उसके पिता का देहांत हार्ट अटैक से हो गया था |

" तुम अलग खाना बनाती हो ? " आश्चर्य से वह पूछ बैठी |

" और क्या ! मैं तो अपने कमरे का भाड़ा भी भाभी को देती हूँ | पास में अपने लोग रहने से सुरक्षा रहती है | " 

माया का समझदार उत्तर पा कर चुप रह गयी वह |

शहर में अनुशासन

 


-इंदु बाला सिंह 


" मैडम ! हमारे पास लाइसेंस है .. हेलमेट है फिर भी पुलिस गेट पर हमें पकड़ रही है | हमारी गाड़ी की  चाभी ले ली है | "

छात्र प्रिंसिपल  के आफिस में घुस गए |

" जाओ शर्मा सर को कम्पलेन करो | " परेशान प्रिंसिपल ने कहा |


हर विद्यालय के सामने पुलिस जा कर छात्र सुधार  कर रही थी | 


छात्रों के चेहरे पर हवाईयां उड़ रही थी |  प्रिंसिपल और टीचर परेशान थे | 


बच्चों को टाईट करने से माता पिता  बौखला रहे थे  |

पुलिस अंकल



-इंदु बाला सिंह 


छात्रों  की भीड़ स्कूल के गेट पर देख कर एक खाकीवर्दी वाली पलिस आ गयी गेट पर |

" ये क्या है ? " स्कूल बैग से झांकते लम्बे ड्राइंग के कागज को निकले देख कर पुलिस पूछी 

" प्रोजेक्ट "  छात्र ने उत्तर दिया |

फिर पुलिस ने दूसरे छात्र से वही  प्रश्न पूछा |

" प्रोजेक्ट " दूसरे छात्र ने भी कहा |

" तुम लोग यहाँ क्या भीड़ लगाये हो ? " अब अन्य छात्रों की और मुखातिब हो पुलिस ने पूछा  |

" देखिये न अंकल ! गेट ही नहीं खुला | "

" तुमने गेट क्यों नही खोला ? " दरबान की और मुड़ी पुलिस |

" सर ! गेट खोलने का समय नहीं हुआ है |....प्रिंसिपल ने जल्दी गेट खोलने मना किया है | "

" तुम्हारा प्रिंसिपल बड़ा है या मैं ?.....मैं बोलता हूँ गेट खोलो | "

और गेट खुल गया | छात्रों की भीड़ प्रवेश कर गयी स्कूल में |

छात्र सुधार ! सड़क पे



-इंदु बाला सिंह 

      


स्कूल की गली खचाखच छात्रों से भरी थी | प्रतिदिन ओवर लोडेड आनेवाला ऑटो रिक्शा बच्चों को गली के मुहाने से ही छोड़ कर भाग रहा था | 

एक ट्रैफिक पुलिस एक मोटर साईकिल सवार छात्र का पीछा करते गुजरा उसके बगल से और स्कूल गेट के सामने उस छात्र को रोक दिया | पल भर में तीन चार ट्रैफिक पुलिस और आठ  दस खाकी वर्दीधारी पुलिस मोटर साईकिल पर दनदनाते हुए आये और मोटर साईकिल सवार छात्रों से मोटर साईकिल और स्कूटी वालों से स्कूटी चाभी समेत ले कर रख लिए | जिनकी मोटर साईकिल छिनी गयी थी उनके मित्र अभी स्कूल आ रहे थे | उन छात्र मित्रों को छात्रों ने यह खबर मोबाइल से पहुंचा दी | वे पेट्रोल पम्प के पास ही गाड़ी छोड़ कर आ गये  | 

   

   प्लस टू के छात्रों को बिना गीयर वाली गाड़ी चलाने का लाइसेंस मिलता है | हेलमेट पहनना भी जरूरी है | 

 मोटरसाइकिल वो भी बिना हेलमेट  के चलाना तो हिरोगिरी रहती है न | 

बच्चे परेशान हो टीचरों से प्रश्न पूछने लगे ...


" टीचर ! हम लोगों को गाड़ी मिल जायेगी न |.. " घर में डांट का भय था उन्हें |


इसी बीच प्रार्थना की घंटी बज गयी |

स्कूल की प्रार्थना खत्म हुयी | 


माइक पर प्रिसिपल की आवाज गूंजी ....

" जिन बच्चों की गाड़ी सीज हुयी है ट्रैफिक पुलिस के थाना से अपने माता पिता के साथ जा कर वापस पा सकते हैं | ..... और जिन्होंने गाड़ी पेट्रोल पम्प के पास रखा है वे याद रखें कि पेट्रोल पम्प गाड़ी स्टैंड नहीं है | "

पेपरवाला

 


1998


" ओ पेपरवाले ! "

साईकिल चलाकर गुजरता पेपरवाला रुक गया |

" कांच की बोतल लेते हो ? " श्वेता ने प्रश्न किया |

" कौन सी बोतल है ?...बीयर की बोतल एक रूपये में लेता हूँ | "

" अरे नहीं | स्क्वैश और दवा की बोतल है | " श्वेता के मुंह से सहज ही निकल गया |


पेपरवाला बिना जवाब दिए बेशर्मी से चला गया |

अटेंडेंट


-इंदु बाला सिंह 


वह अटेंडेंट था | अस्पताल में भर्ती बीमार जब डिस्चार्ज होता था तब घर के सदस्य उसे अपने घर ले जाते थे | बीमार की मृत्यु हो गयी तो  बीमार के कपड़े लत्ते उसे दान में मिल जाते थे |


करीब एक वर्ष बाद भेंट हुयी उससे |


" और कैसे हो ? "

" ठीक हूँ | आजकल एक सौ दस वर्ष के बुड्ढे का काम पकड़ा है मैंने | "


मैंने मुस्कुरा कर उसका समर्थन किया |

पुलिस बनूंगी

  


-इंदु बाला सिंह 


" टीचर ! मैं बड़ी हो कर पुलिस बनूंगी | " पढ़ते पढ़ते एकाएक एक छठी कक्षा की छात्रा ने कहा |


" क्यों ? " टीचर चौंक पड़ी उस छात्रा के कथन पर 


" मेरा भाई नहीं है न | हमलोग केवल दो बहनें हैं | मेरे माता पिता बूढ़े हो जायेंगे तो मुझे उन्हें देखना पड़ेगा न | "