Monday, October 14, 2013

पहले हम खा लेब

 " बचवन के जिन खाए दे ! ... हम आवत हयीं ..... पहले हम खा  लेब तब केहू के दीहे  | " ताई सब्जी काट रही थी |

गांव में पड़ोसी तिवारी जी के घर से बैना ( मिठाई ) आया था | तिवारी जी की बहू शहर से आई थी |

माँ ने मिठाई की कुरई ऊपर ताख पर रख दी थी |

माँ ने समझाया लोग कुछ टोना कर के देते हैं न तो जो पहले खाता  है उस पर ही उस टोने का असर होता है |


आज लग रहा है क्या दिन थे और क्या बुजुर्ग थे | टोना के अस्तित्व को तो मन मानता नहीं पर बुजुर्गो के उस त्याग को याद कर आंख आज भी भर आती है |

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