Thursday, July 4, 2013

बाल प्रार्थना ( लोक कथा )

एक जंगल में एक पेड़ पर एक चिड़िया अपने घोंसले में अपने चूजों के साथ रहती थी |
एक बार जंगल में आग लग गयी |
" आग ! आग !..." चिल्लाते हुए सब जानवर भागने लगे |
चिड़िया डर कर अपने घोसले में बैठी रही | उसके बच्चे उड़ नहीं सकते थे |
" माँ तुम अपनी जान बचाओ |...तुम जिन्दा रहोगी तो तुम्हें और बच्चे मिल जायेंगे |  हम अपनी सुरक्षा खुद कर लेंगे | "  चूजों ने माँ से कहा |
माँ की ऑंखें भर आयीं | दुखी मन से वह उड़ गयी |
आग पूरे जंगल को जलाते जलाते चूजों के घोंसले तक पहुँची तब दोनों ने आग से प्रार्थना की ...
" हे आग ! हम छोटे बच्चे हैं | इस घोंसले में अकेले हैं | हम उड़ नहीं सकते | ....कृपया आप हमें न जलाइए | "
उन्हें देख आग को दया आ गयी | उसने उस पेड़ को छोड़ दिया | पूरा जंगल जल चूका था पर वह एक पेड़ हरा  भरा था |
कुछ दिन बाद चिड़िया वापस लौटी तो अपने घोंसले में अपने बच्चों को सही सलामत पा फूली न समायी |


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