गुलगुला
, चिड़िया और चूहा मित्र थे | वे एक साथ
रहते थे | चूहा दाना लाता था , चिड़िया
तिनका और पानी लाती थी और गुलगुला खाना पकाता था |
गुलगुला आग
जला कर हंडी में दाना पानी डाल देता था | खाना पक जाने पर खुद कूद जाता था हंडी
में कुछ देर अंदर रहता था फिर बाहर निकल जाता था | इस प्रकार खाना स्वादिष्ट बन
जाता था |
एक बार अपने
काम को ले कर तीनो लड़ पड़े | तीनों को अपना काम अधिक लग रहा था | आखिर तीनों ने
अपना काम बदल लिया |
गुलगुला तिनका
और पानी लेने चला | चिड़िया दाना लाने उड़ी | चूहे का काम अब खाना बनाना था |
शाम हो गयी
सामान जुटते जुटते |
गुलगुला लौटा
तो कट फट गया था उसका शरीर | चिड़िया थकी हारी थोड़ा सा दाना जुटा पाई थी |
अब चूहे की
बारी थी खाना बनाने की |
आग जलाने में
और खाना पकाने में उसकी दुम और मूछें झुलस गयीं |
तीनों मित्र
दुखी हुए | फिर वे निर्णय किये कि अब वे नहीं लड़ेंगें और अपने अपने पुराने काम में ही लगे रहेंगे |
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