Thursday,
January 11, 2018
10:35 AM
-इंदु बाला
सिंह
असीमा , स्वस्थ , प्लस टू में पढ़नेवाली लड़की थी | कुछ महीनों से उसे हर सप्ताह हल्का फुल्का
बुखार होता था फिर ठीक हो जाता था |
उसका
मन किसी काम में न लगता था | पढाई में वह हमेशा अव्वल रहती थी वह अपनी कक्षा में |
घर में भाई , बहन असीमा को आलसी लड़की कहते थे | उसका घर अमीर था | अपने माता पिता की वह लाड़ली थी |
इस
बार उसे जब बुखार हुआ तो रविवार का दिन था |
असीमा ने सोंचा - ' क्यों न डाक्टर को दिखाऊं खुद को | वैसे भी आज इतवार है स्कूल
नागा भी नहीं होगा | '
घर के नौकर के
साथ असीमा अस्पताल गयी | डाक्टर ने उसका ब्लड चेक अप के बाद ही कोई दवा लिखने को
कहा | ब्लड रिपोर्ट में असीमा के खून में व्हाइट ब्लड सेल अधिकता में पाये गये |
डाक्टर ने दवा
लिख दिया |
असीमा ने दवा
तो खाना शुरू कर दिया पर वह गूगल में व्हाइट ब्लड सेल की अधिकता से होने से बीमारी
की खोज करने लगी |
न जाने क्यों
असीमा को लगा उसे ब्लड कैंसर हो सकता है |
उसने सुना था
उसके एक परिचित एक महीने के बुखार में ही ब्लड कैसर की बीमारी से चल बसे थे |
असीमा ने अपनी
चिंता अपने माता पिता को बताई | पिता असीमा की चिंता सुन चौंक पड़े | उन्होंने अपनी
बेटी कहा - तुम्हें ऐसा लगता है तो हम बम्बई के कैंसर अस्पताल में तुम्हारा चेक अप
करवाएंगे |
अपने माता
पिता के साथ असीमा बम्बई पहुंची | असीमा को अस्पताल में भरती कर डाक्टर ने विभिन्न
विभिन्न टेस्ट किया |
असीमा को ब्लड
कैंसर था |
डाक्टर ने
असीमा के माता पिता को आश्वासन दिया - चिंता न करें | आपकी बेटी ठीक हो जायेगी |
आपलोग एकदम ठीक समय पर अस्पताल पहुंचे हैं |
असीमा
के माता पिता छ: महीने बम्बई में रह
कर इलाज करवाये बेटी का |
स्वस्थ हो
कर लौटी असीमा लौटी अपने घर |
चौकनी असीमा
की जान उसके स्मार्ट मोबाईल ने बचाई