09
October 2015
22:14
-इंदु बाला
सिंह
सत्तर
पार की मिसेज पुजारी के गुजरने की खबर पूरे एक माह बाद मुझे मिली |
आजकल माता या
पिता के मौत की खबर बच्चे अपने मित्रों को देते हैं और सारे क्रिया कर्म सम्पन्न
कर देते हैं |
मिसेज पुजारी
की खबर पा कर मुझे दुःख के साथ खुशी भी हुयी | वर्षों से बिस्तर पर थीं वे |
न जाने क्या
बीमारी थी उन्हें |
अच्छा हुआ पति
के जीते जी गुजर गयीं |
मिस्टर वर्मा
पहले गुजरते तो न जाने कितने ताने सुनना पड़ता उन्हें अपने बेटे बहू से |
हमारे मुहल्ले
में लोग अपने अड़ोस पड़ोस को केवल चेहरे से ही पहचानते हैं |
मिसेज पुजारी
को भी मैं चेहरे से ही पहचानती थी |
एक दिन अपनी
पड़ोसन से बतियाते हुये पता चला था कि मिसेज पुजारी बंगालन हैं |
चौक गयी मैं -
जरूर लव मैरेज था होगा | वर्ना अरेंज्ड मैरेज कौन करता है दुसरे जात में |
और जिस प्यार
से लाये थे होंगे घर में उसी प्यार से पार भी लगा दिया मिसेज पुजारी को उनके पति
ने |
आज भी धीमे
धीमे कदमों से चलते हुये देखती हूं कभी कभार मिस्टर पुजारी को तो रहस्यमयी बंगालन
मिसेज पुजारी याद आ जाती है मुझे |
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