Friday, October 9, 2015

सत्तर पार की मिसेज पुजारी


09 October 2015
22:14


-इंदु बाला सिंह

सत्तर पार की मिसेज पुजारी के गुजरने की खबर पूरे एक माह बाद मुझे मिली |

आजकल माता या पिता के मौत की खबर बच्चे अपने मित्रों को देते हैं और सारे क्रिया कर्म सम्पन्न कर देते हैं |

मिसेज पुजारी की खबर पा कर मुझे दुःख के साथ खुशी भी हुयी | वर्षों से बिस्तर पर थीं वे |
न जाने क्या बीमारी थी उन्हें |

अच्छा हुआ पति के जीते जी गुजर गयीं |

मिस्टर वर्मा पहले गुजरते तो न जाने कितने ताने सुनना पड़ता उन्हें अपने बेटे बहू से |

हमारे मुहल्ले में लोग अपने अड़ोस पड़ोस को केवल चेहरे से ही पहचानते हैं |

मिसेज पुजारी को भी मैं चेहरे से ही पहचानती थी |

एक दिन अपनी पड़ोसन से बतियाते हुये पता चला था कि मिसेज पुजारी बंगालन हैं |

चौक गयी मैं - जरूर लव मैरेज था होगा | वर्ना अरेंज्ड मैरेज कौन करता है दुसरे जात में |

और जिस प्यार से लाये थे होंगे घर में उसी प्यार से पार भी लगा दिया मिसेज पुजारी को उनके पति ने |
आज भी धीमे धीमे कदमों से चलते हुये देखती हूं कभी कभार मिस्टर पुजारी को तो रहस्यमयी बंगालन मिसेज पुजारी याद आ जाती है मुझे |


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