16
October 2015
13:00
बिर्जन
ने बकरी पाली थी |
बकरी और मेमना
खूब खेलते थे |
धीरे धीरे कुछ
महीनों में मेमना एक हृष्ट पुष्ट बकरा बन गया |
अब बकरी को
चिंता होने लगी |
बकरी ने सोंचा
-
जरूर एक दिन
मालिक मेरे मेमने को इतना हृष्ट देख किसी दिन काट कर खा जायेगा |
एक रात बकरी
ने अपने मेमने को समझाया -
' देख बेटा !
तू बड़ा हो गया है | किसी दिन भी मालिक तुझे काट कर पकायेगा अपनी रसोईं में और फिर
खा लेगा | देख बेटा ! तू जंगल में भाग जा | वहां तुझे खाने के लिये पौधों के हरे
पत्ते मिलेंगे और पीने के लिये नदी का ठंडा जल | वहां तू खूब घूमना और खुश रहना |
'
और रात में ही
बकरी ने अपने मेमने की रस्सी दांत से चबा चबा कर तोड़ डाली |
दुखी मन से
बकरे की माँ ने अपने प्राणप्यारी सन्तान को आशीर्वाद दे कर विदा कर दिया |
सुबह बिर्जन
ने देखा -
बकरा खूंटे पर
नहीं है |
बिर्जन
ने अपना माथा पीट लिया |
No comments:
Post a Comment