Tuesday, November 18, 2014

एक हाथ जमीन


18 November 2014
22:00
-इंदु बाला सिंह
एक गांव में दो भाई थे | अपने पैतृक घर की एक हाथ की जमीन के लिये हर रोज वे लड़ पड़ते थे आपस में | सारा गांव यह तमाशा देखता था |
एक बार दोनों भाईयों में उसी एक हाथ की जमीन के लिये आपस में मार पीट हो गयी | फिर दोनों ने एक दुसरे को अदालत में देख लेने की धमकी दी |

गांववालों ने दोनों भाईयों को समझाया कि वे कोर्ट कचहरी के चक्कर में न पड़े गांव से दूर में एक पहाड़ी गुरूजी रहते हैं | उन दोनों भाईयों को उनके पास जाना चाहिये | वे जरूर उनकी समस्या सुलझा देंगे |

दोनों भाईयों ने सोंचा कि वहीं जा कर एक बार अपनी समस्या का हल खोजा जाय | वैसे उन्होंने भी उस विद्वान् गुरु जी का नाम सुन रखा था |

दुसरे दिन सुबह सुबह दोनों भाई निकल पड़े अपने अपने घर से | गुरूजी के घर पहुंचते पहुंचते दोनों भाई थक चुके थे |

गुरूजी ने दोनों भाईयों से उनकी समस्या सूनी और अपनी पत्नी से एक थाली में दो आदमी का खाना परोस  के लाने को कहा |

गुरुपत्नी जब खाने की थाली और पानी का लोटा रख कर चली गयी तब गुरूजी उठे और दो डंडा ला कर थाली का बगल में रख दिये |

" तुम लोग जो चाहिये उसे ले सकते हो | " गुरूजी ने कहा |

दोनों भाई सारी राह  पैदल चलने के कारण  थक कर चूर चूर थे | उन्होंने सोंचा कि पहले खाना खा लिया जाय फिर फैसला होगा युद्ध कर के |

दोनों भाई जब खाना खा  लिये तब गुरूजी ने कहा कि अब वे दोनों भाई अपने अपने घर जांय क्यों कि समस्या सुलझ गयी  है |

गुरूजी ने अपना डंडा वापस अपने पास रख लिया  |

दोनों भाई कुछ समझ न पाये और लौट गये अपने घर |

दुसरे दिन सुबह  फिर शुरू हो गयी वही पुरानी चिकचिक |

कुछ दिन बाद फिर गये दोनों भाई गये गुरूजी के घर |

" गुरूजी ! हमारी समस्या का तो कोई हल नहीं निकला | आप सोंचिये एक हाथ जमीन के लिये मैं लड़ रहा हूं | कल मैं नहीं रहूंगा | पर आज तो झगड़ा हो रहा है न | " बड़े भाई ने समझाया गुरूजी को |

" हां गुरूजी ! आप खुद सोंचिये हम तो हमेशा जिन्दा नहीं रहेंगे न , पर आज तो लड़ रहें हैं न एक हाथ जमीन के लिये | आप ही हमारी समस्या सुलझायिये | " छोटे भाई ने कहा

दोनों भाईयों का दिमाग ठंडा हो चूका था पर समस्या तो ज्यों की त्यों थी |

गुरूजी ने दोनों भाईयों की बात ध्यान से सूनी फिर कहा - " अरे ! यह कौन सी बड़ी बात है | उस एक हाथ जमीन पर तुम दोनों दीवार खड़ी कर दो | दीवार तो किसी की नहीं रहेगी न | "

दोनों भाईयों को गुरूजी का यह हल भा गया |

वे खुशी खुशी लौट आये | दोनों भाईयों के घर के आंगन में दीवार खड़ी हो गयी पर दोनों भाईयों का आपसी प्रेम बढ़ गया |


अब दोनों भाई खुश थे |

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