02
October 2014
22:42
-इंदु बाला
सिंह
'
आज कितनी कमाई हुई ? ' अष्टमी की शाम को पड़ोस में रहनेवाली अपने स्कूल
की छात्रा जया से मैंने पूछा |
' सत्तर रूपये
| पांच घर खाने गयी थी मैं | सब घर में खाना था तो मैं थोड़ा थोड़ा खायी हर घर में |
'
' क्या करोगी
इन रुपयों का ? ' मैंने जया का मन टटोला |
' मिस मैं रबर
,शार्पनर और पेन्सिल खरीदूंगी | और बाकी रूपये मम्मी के पास रख दूंगी | '
और भींज गया
मन मेरा |
इसका मतलब है
इस बच्ची को पेन्सिल रबर भी शायद बड़ी डांट डपट के बाद मिलते हैं जबकि कपड़े तो यह
लड़की इतने महंगे पहनती है |
No comments:
Post a Comment