Friday, September 12, 2014

घर की बहू


12 September 2014
22:06
-इंदु बाला सिंह

ब्याह के दो माह ही बीते थे |

कितनी खुश थी वह अपनी ननद के आगमन की खबर सुन कर | ननद भाभी का रिश्ता भी तो कितना प्यारा होता है |
ड्राइंग रूम में बैठी थी ननद अपने देवर संग और साथ में थी सास |

और भाभी को बुला कर एक पर एक डाँट चलती गयी ननद की | सास के सामने मूक सी बैठी रही बहू |

शायद सास ने अपनी बिटिया से जी भर के शिकायत की थी  बहू की |

घर में न पतिदेव थे न ससुर |

इसीबीच पड़ोसी आ गये | इन्हीं के माध्यम से विवाह तय हुआ था |

डर कर ननद ने अपने देवर से भाभी को अंदर कमरे में ले जाने कहा |

ननद के देवर संग भाभी एक कमरे में बंद कर दी गयी |

भाभी भौंचक सी रोने लगी पैर पड़ने लगी भाभी के देवर का | माफी मांगने लगी घर की बहू |

रात में ससुर नशें में धुत्त लौटे बहू से अपनी बिटिया की कारस्तानी  सुन ..हरि ॐ कह चुप रह गये |

पतिदेव चुप रहे |

और बहू के पिता घटना सुन बोले - पूछूं तुम्हारे ससुर से |


घर की बहू ने कहा - नहीं | रहना तो इसी घर में है मुझे | मुझे और ज्यादा तंग करेंगे वे |

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