12
September 2014
22:06
-इंदु बाला
सिंह
ब्याह
के दो माह ही बीते थे |
कितनी
खुश थी वह अपनी ननद के आगमन की खबर सुन
कर | ननद भाभी का रिश्ता भी तो कितना प्यारा होता है |
ड्राइंग रूम
में बैठी थी ननद अपने देवर संग और साथ में थी सास |
और भाभी को
बुला कर एक पर एक डाँट चलती गयी ननद की | सास के सामने मूक सी बैठी रही बहू |
शायद सास ने
अपनी बिटिया से जी भर के शिकायत की थी बहू
की |
घर में न
पतिदेव थे न ससुर |
इसीबीच पड़ोसी
आ गये | इन्हीं के माध्यम से विवाह तय हुआ था |
डर कर ननद ने
अपने देवर से भाभी को अंदर कमरे में ले जाने कहा |
ननद के देवर
संग भाभी एक कमरे में बंद कर दी गयी |
भाभी भौंचक सी
रोने लगी पैर पड़ने लगी भाभी के देवर का | माफी मांगने लगी घर की बहू |
रात में ससुर
नशें में धुत्त लौटे बहू से अपनी बिटिया की कारस्तानी सुन ..हरि ॐ कह चुप रह गये |
पतिदेव चुप
रहे |
और बहू के
पिता घटना सुन बोले - पूछूं तुम्हारे ससुर से |
घर की बहू ने
कहा - नहीं | रहना तो इसी घर में है मुझे | मुझे और ज्यादा तंग करेंगे वे |
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