20
September 2014
10:45
-इंदु बाला सिंह
रेसेस
का समय था | बड़ी कक्षा के छात्र
इधर उधर टहल रहे थे और छोटी कक्षा के छात्र दौड़ धूप कर रहे थे प्ले-ग्राउंड
में |
ग्यारहवीं
कक्षा की पूरी छुट्टी भी इसी समय होती थी | छात्र अपना बैग पीठ पर लगाये अपनी अपनी स्कूटी निकाल रहे थे |
एकाएक भगदड़
मची | छात्रों का समूह स्कूल गेट की ओर दौड़ा |
शिक्षक
शिक्षिकायें हतप्रभ |
विद्यालय के
के स्टाफरूम में बैठे शिक्षक व शिक्षिकायें बरामदे में आ गये |
मिसेज
प्रेरणा की ड्यूटी थी रेसेस कंट्रोल की आज
| वह मैदान में छात्रों की भीड़ में घुस गयी |
' अरे ! क्या
हुआ ? '
' मिस !
ग्यारहवीं कक्षा का छात्र अपनी स्कूटी पर बैठ रहा था कि एक मिनी ट्रक धक्का मार
दिया उसे | वह लड़का गिर गया जमीन पर | सब छात्रों ने ट्रक को घेर लिया है | '
'अरे ! ...ठीक
है तो तुम कैसे जा रहे हो गेट के बाहर ? तुम तो नवम कक्षा के हो | लगाऊं
अनुशाशनहीनता का चार्ज ! सब चलो अंदर | गेट पर भीड़ न करो | ' शिक्षिका ने कड़क कर
कहा | उसे छात्रों को अनुशासित करना था |
' अरे मिस !
ये हमारे स्कूल की इज्जत का सवाल है | हमारे गेट के सामने हमारे स्कूल के छात्र को
धक्का मार दिया | '
' ठीक
है ....ठीक है .. मैं देखती हूं | तुमलोग चलों यहां से |
'
इसी बीच मिसेज
प्रेरणा को स्कूल के गेट से पुलिस स्कूल के अंदर आती दिखी |
' ओह !
जरूर किसी छात्र ने 100 नम्बर डायल
कर दिया होगा | आजकल बच्चे कितने तेज हैं | '
वह छात्रों को
डांट डांट के गेट से परे करने लगी |