Monday, August 25, 2014

इन्टीमेशन कार्ड


21 August 2014
11:55
-इंदु बाला सिंह

आफिस से घर लौटते वक्त राह में कालेज का नोटिस बोर्ड देखना सुनीता की आदत सी बन गयी थी | क्या पता किसी दिन निकल जाय उसकी बिटिया का नाम एडमिशन के सेलेक्शन लिस्ट में |

और खुशी से विह्वल हो गयी थी सुनीता पढ़ कर अपनी बेटी का नाम नोटिसबोर्ड में लगे एडमिशन के सेलेक्शन में उस दिन  |

उसने मन ही मन सोंचा आज तो छ: तारीख है और एडमिशन का डेट तो बीस तारीख है , तब तक कालेज से इन्टीमेशन कार्ड उसके घर में आ ही जाएगा |

तारीखें बदलती गयीं पर न आया सुनीता के घर में कालेज से इन्टीमेशन कार्ड |

परेशान सुनीता बेटी संग बीस तारीख को एडमिशन के सारे डाक्यूमेंट संग कालेज पहुँची |

पहलू बदलती रही एडमिशन रूम के बाहर हर पल सुनीता |

वह मन ही मन सोंची कि अगर उसकी बेटी का नाम एडमिशन रूम अंदर से न बुलाया गया  तो जरूर वह जा कर कालेज के प्रिंसिपल को कम्प्लेन करेगी क्यूंकि उसकी बिटिया का नाम कालेज के नोटिसबोर्ड पर अब भी चमक रहा था |

ये लो आखिर उसके बिटिया का नाम पुकारा दरवाजे पर खड़े कर्मचारी ने |

अंदर बैठे लेक्चरर ने सुनीता से  इन्टीमेशन कार्ड  मांगा |

अब सुनीता ने बताया कि उसे तो नहीं मिला इन्टीमेशन कार्ड पर नोटिसबोर्ड पर उसकी  बिटिया का नाम लिखा है |

परेशान लेक्चरर ने एक फाईल उठाया  जिसपर चमक रहा  था उसकी बिटिया का नाम " समृद्धि " |

और जब उस लेक्चरर ने फाईल के पन्ने पलटा  तो उसमें था उसकी बिटिया का था वह " इन्टीमेशन कार्ड " जो डाक में डाला ही नहीं गया था |













No comments:

Post a Comment