Wednesday, April 23, 2014

बिटिया का फोन


24 April 2014
09:00
             - इंदु बाला सिंह

ट्रिंग ट्रिंग ......ट्रिंग ट्रिंग

" हैलो !..... "
"  हां हां ..घर में है ..... " कहते हुए शर्मा जी ने नौकर से कहा ..." जाओ जया को फोन उठाने को बोलो ... "
दूसरा फोन घर में ड्राईंग रूम में  था |
शर्मा जी बड़बड़ाने लगे ..... " अब ग्यारह कला की बच्ची के भी फोन आने लगे .... "
कुछ देर बाद वे टेबल पर रखा अपना रिसीवर उठा कर अपनी बिटिया और उसके मित्र की बातें सुनने लगे |

और आफिस में सामने बैठा मैनेजर सोंचने लगा .... " ऐसा पहरा आखिर कब तक ? "

Tuesday, April 22, 2014

बच्ची की सुरक्षा


23 April 2014
10:08
  1. इंदु बाला सिंह

नौकरी के लिए आप्लिकेशन देने मैं उस मिशन स्कूल में गयी थी |
प्रिंसिपल बाहर निकली और एक महिला से बात करने लगी |
उनके संवाद मुझे अचंभित किये |
" मैडम ...मेरा आदमी दूसरी औरत रख लिया है ... कोर्ट में हमने तलाक  के लिए अप्लाई किया है ... मेरी बेटी से मेरा आदमी मिलने आये तो मिलने मत दीजियेगा | मैडम ..मैं झाड़ू बर्तन कर के अपना पेट पालती हूं .... भाई के घर के बगल में घर ले कर रहती हूं .... " एक दुबली पतली महिला कह रही थी |
" कोई बात नहीं ..एडमिशन रजिस्टर में गार्जियन की जगंह तुम्हारा नाम लिख दिया जायेगा तो तेरा आदमी न्कीन मिल पायेगा तेरी बेटी से | " प्रिंसिपल ने पल भर में समस्या सुलझा दी |

कमजोर वर्ग भी अंगरेजी माध्यम के स्कूलों में  फीस दे कर अपने बच्चे पढ़ाना पसंद करते हैं क्योंकि वहां पढ़ाई अच्छी होती है और गेट पर दरबान बैठा रहता है |



माँ की पाकेट मनी


23 April 2014
09:30
  1. इंदु बाला सिंह

" मेरे हसबैंड तो हर महीने एक हजार रूपये अपनी माँ के नाम ट्रांसफर कर दे ते हैं .... और माँ पैसे मिलते ही मछली खरीदती है और बेटी को सपरिवार बुला लेती है ...सब पैसे उस पर खर्च डालती है | " मुंह बनाते हुए मिसेज वर्मा ने कहा |
" आपकी ननद पास में ही रहती है ? " मैंने कौतुहल से पूछा |
" हां .... हमलोगों  में तो रिश्तेदारी में शादी होती है न ..... मेरे ससुराल में कमी नहीं है ...कितने नारियल के पेड़ हैं  ...फिर भी मेरे हसबैंड पैसे भेजते हैं माँ को | "
मिस्टर वर्मा के पिता बचपन में गुजर गए थे | अपने विवाह का पूरा कार्यक्रम खुद अपने कन्धों पर उठाया था उन्होंने | 
अकेली सास दक्षिण के सुदूर गाँव में रहती थी | उसका सहारा उसकी बेटी का ही परिवार था |

" आखिर उतरती दुल्हन अपनी अकेली  सास के प्रति इतनी निस्पृह कैसे हो पाती है .." मैं चकित हो सोंची |

Monday, April 21, 2014

नदी में मगरमच्छ

22 April 2014
06:37
               
                    - इंदु बाला सिंह


नई नियुक्ति हुयी थी उसकी |
सहकर्मी के साथ नदी का मुआयना करने गया था वह | पाईप लाईन बिछवाने का काम था था उसका | अब उसे पाईप को नदी में से गुजारना  था उसे |
जीप से उतर वह अपने सहकर्मी के साथ पैदल चलने लगा | .......नदी के किनारे जीप चलाना मुश्किल था ड्राईवर को |
कुछ दूर चलने पर उसने देखा उसके दो सीनियर आफिसर एक पेड़ के नीचे खड़े हैं |
" शायद वे छाँव से बचने के लिए खड़े हैं पेड़ के नीचे .... " उसने सोंचा और वह नदी के पास  जाने लगा अपने सहकर्मी के साथ |
" अरे...खान जा रहे हो !... " एक जोर की आवाज आयी |
वह चौंक के देखा | सर उसे हाथ के इशारे से अपने पास बुला रहे थे |
" अरे !... नदी के पास मत जाओ ....वहां मगरमच्छ है .... अभी अभी एक मगरमच्छ अपनी पूंछ से नदी के किनारे चलती एक गाय को मार कर नदी में खींच लिया है  | "
वह चौंक कर नदी की ओर देखा |
नदी के पानी में खाली बुलबुले उठ रहे थे |

यह उसके लिए रोमांचकारी व् भयभीत कर देनेवाला अनुभव था |