Saturday, March 29, 2014

दया


वार्षिक परीक्षाएं चल रही थीं |
आज अंग्रेजी का पेपर था | पेपर खत्म होने को बस बीस मिनट ही बाकी थे | सब परीक्षार्थी का ध्यान अपनी उत्तर पुस्तिका में डूबा था |
क्लास के सन्नाटे को भंग करते हुए एक कबूतर न जाने कहाँ से उड़ता आया और क्लास के पंखे से जा टकराया |
टीचर के टेबल पर पड़ा सफेद पन्ना खून के छींटे से रंग गया |
क्लास सन्न रह गयी |

" टीचर ! मैं इस कबूतर को घर ले जाऊंगा | मेरे पिता पशु अस्पताल में डाक्टर हैं | मैं इसका इलाज करवाऊंगा | " परीक्षा खत्म होने पर आठवीं कक्षा के छात्र सुमित ने घायल कबूतर को उठाते हुए कहा |


" ठीक है | " शिक्षिका ने कापी का बंडल धागे से बांधते हुए कहा |

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