"
वर्मा की औरत तो रोज मेरे पैर की तेल
मालिश करती है " सास का यह वाक्य
हमेशा चुभ जाता शामिली को |
वर्मा जी पडोस
में रहते थे |
वर्मा की औरत
शामिली की सास से उम्र में दस वर्ष छोटी थी
हर दो तीन दिन
के बाद यह वाक्य दुहराती थी सास |
शामिली सास के
इस वाक्य का अर्थ खूब समझती थी |
उस पर से
वर्मा की औरत हर रोज एक कटोरी भर के अपने घर की सब्जी सास को ला कर देती थी |
शामिली के साथ
सास ससुर एक ननद और चार देवर रहते थे |
बहू को सम्हालना पड़ता था पूरे परिवार को |
पति की आमदनी
से मुश्किल से घर चलता था |
आये दिन सास
के ताने शादी के एक महीने बाद से मिलने शुरू हो गये थे |
एक दिन गजब हो
गया ....
सास और वर्मा
की औरत में जम कर झगड़ा हुआ |
आवाजें आ रहीं
थीं शामिली के पास भी ......
" अरे !
ये लोग तो भिखारी हैं हम रोज इनको सब्जी बना कर पहुंचाते हैं ........"
बस इतनी आवाज
स्मरण में रही शामिली को क्यों कि ये तीर उसको जोर से चुभा था |
दुसरे दिन से
सास और वर्मा की औरत में बोलचाल बंद हो गयी |
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