Monday, January 6, 2014

शैतान विनय ( स्कूल की कहानियां )

विनय ने मिसेज दत्ता की नाक में दम कर रखा था कक्षा में |

नित नयी शैतानी सूझती थी उसे  |

आठवीं कक्षा के छात्र विनय में  चौथी कक्षा के छात्र सा चुलबुलापन था |

" देखो विनय ! कल छुट्टी का आखिरी दिन है ...सम्हल के रहना ...वरना पिछली बार की तरह शैतानी करोगे तो नये साल में प्रिंसिपल के सामने खुद को कैमरा में देखोगे शैतानी करते हुए ...और सजा मिलेगी तुम्हें  | " मिसेज दत्ता ने विनय को धमकाते हुए कहा |

हर कक्षा में कैमरा लगा था | उसमें बच्चों को उनकी शैतानियों का प्रूफ दिखा कर सजा मिलती थी |

विनय डर गया |

" नहीं टीचर ! ऐसा नहीं होगा | "

और जाड़े की छुट्टी के आखिरी दिन कक्षा से वह नदारद था |

मिसेज दत्ता ने सोंचा छुट्टी में गाँव चला गया होगा |

तीन तारिख को स्कूल खुला | विनय कक्षा में न दिखा |

मिसेज दत्ता ने सोचा ... चलो शांति है कक्षा में |

" क्या मैं अंदर आ सकता हूँ ....गुड मार्निग टीचर ...हैप्पी न्यू ईयर !... " बोलते हुए सीधे प्रवेश कर गया अंदर कक्षा में |

सामने बैठे छात्र ने धीरे से कहा ... " बैड मार्निग टीचर ! .."

टीचर ने कुछ न सुन पाने जैसा चेहरा बना कर उपस्थिति रजिस्टर खोल लिया  ..... फिर एक एक कर के बच्चों का नाम बुलाने लगी |

विनय अपनी जगह से उठ कर धीरे से मिसेज दत्ता के पीछे खड़ा हो गया |  .... फिर देखा कि टीचर कुछ नहीं बोल रही है तो धीरे धीरे टीचर के टेबल के बगल खड़ा हो गया |

" ऐसा करो विनय ...कल से तुम यूनिफार्म मत पहन के आना ....ठीक है ..... तुम उपस्थिति लेना और क्लास में गणित पढाना  .....ठीक है ... " मिसेज दत्ता ने उपस्थिति लेना बंद कर के कहा |

" नहीं टीचर !...यूनिफार्म क्यों नहीं पहनूंगा ?... " अचंभित हो विनय ने कहा |

" तुम टीचर बन जाओगे न ...तो तुम्हें यूनिफार्म की जरूरत नहीं .... मै स्टाफ रूम में आराम से बैठुंगी | "

अब बात समझ आयी विनय को |

झेंपते हुए अपनी सीट पर जा बैठा वह |





No comments:

Post a Comment