Wednesday, January 29, 2014

रसीद रखे रहना

आठवीं कक्षा सिरदर्द कक्षा थी स्कूल की |

छात्रों को नित नई शैतानी सूझती रहती थी | शोभित यद्यपि पढ़ाई में अच्छा था पर हर शैतानी में उसका नाम प्रथम स्थान में रहता था | इसका भी एक कारण था | वह निडर था | जहां सब छात्र बच कर निकल जाते थे वहां शोभित पकड़ लिया जाता था | आर्मी की कालोनी में रहता था | 

सभी शिक्षक जानते थे कि शोभित केवल अपने पिता से ही डरता है |

एक बार प्रिंसिपल ने शोभित के पिता को बुलवा भेजा था | उन्होंने शोभित की शैतानी की शिकायत उनसे की |

शोभित के पिता पहले तो सुनते रहे शिकायतें फिर उलट के प्रधानाध्यापिका से ही कड़ी आवाज में बोल पड़े ....
" टीचर कक्षा में मौजूद है तो बच्चे कैसे शैतानी करते हैं ........ टीचर में कमी होगी  "

घर में बड़ी पिटाई पड़ती थी शोभित को | उसका बड़ा भाई भी उसी विद्यालय में पढ़ता था | वही सब बातें टीचरों  को बताया करता था |

एक दिन  इंग्लिश टीचर छुट्टी पर थी |

एडजस्टमेंट टीचर के कक्षा में पहंचने से पहले ही पूरी कक्षा बाहर निकल गयी | कक्षा खाली थी | जब बच्चों को ढूंढने वह स्कूल के ग्राउंड में गयी तो उसे देखते ही सब बच्चे भागे दुसरे तरफ से घूम कर कक्षा में घुसने के लिए | साकेत तो राह की कंटीली झाड़ियों पर गिर पड़ा |

दृश्य हास्यास्पद था | टीचर परेशान थी | जब वह कक्षा में पहुंची तो सब छात्र चुपचाप बैठे थे |

आखिर कितना डांटा जाय बच्चों को |

इधर कुछ दिनों से शोभित शांत रहने लगा था | चुपचाप कक्षा की पीछे की सीट पर बैठा रहता था |

कक्षा भी शांत  हो गयी थी | शायद वार्षिक परीक्षा का भय पैदा हो गया था छात्रों में |

पर यह शांति ज्यादा दिन नहीं टिकी |

सरस्वती पूजा के समय हंगामा हो गया | आठवीं कक्षा उपर के हल में थी | पूजा का डेकोरेशन चल रहा था |

इसी बीच उपर से धूमधाम की आवाज आयी |

कुछ बच्चे दौड़ते हुए उतरे |

उठा कर खेल रहे थे कुसियों से बच्चे | एक ने जोर से फेंकी फाईबर की कुर्सी और कुर्सी बेचारी गिर कर लंगड़ी हो गयी |

अब क्लास टीचर परेशान |

प्रिंसिपल से उसे ही चार बातें सुननी थी |

" आपकी कक्षा के बच्चे बड़ी शैतानी करते हैं ...."

कोई छात्र कुर्सी तोड़ने वाले छात्र का नाम बता ही नहीं रहा था |

पूरी कक्षा को सजा के तौर पर फाईन लगा | हर बच्चे को डेढ़ सौ रूपये |

वैसे कुर्सी का मूल्य मात्र पन्द्रह सौ रूपये थे पर यहां तो सजा मिली थी | इस सजा से फायदा ही था स्कूल को | पचास बच्चों से फाईन लेने पर स्कूल को साढ़े सात हजार मिल रहा था |

इसी बीच सुधीर आ कर बोला ........" टीचर कुर्सी शोभित से टूटी है | वह बोलता है आकर आपसे अपनी गलती मान लेगा | "

शोभित ने क्लास टीचर से अपनी गलती के लिए माफी मांग  ली |

अब उसे प्रिंसिपल के सामने जा कर माफी मांगना था |

प्रिंसिपल के आफिस से उसे कुर्सी का मूल्य जमा कर देने को कहा गया आफिस में |

दुसरे दिन शोभित केवल एक हजार रूपये लाया और क्लास टीचर से बोला .... " टीचर यह रुपया मैं अपना गुल्लक तोड़ कर लाया हूं | "

इस बार फिर उसे फिर प्रिंसिपल के पास भेजा क्लास टीचर ने क्यों कि वह पूरे पैसे नहीं लाया था |

डर के मारे उसने प्रिंसिपल से कहा ...." मैडम ! आज तो मैं केवल हजार रूपये लाया हूं | "

" कोई बात नहीं ...कल लाकर एक साथ जमा कर देना | " प्रिंसीपल ने फाईल से आंखें उठा कर कहा |

दुसरे दिन शोभित बाकी रूपये का इंतजाम कर लिया |

इस बार शायद शोभित के बड़े भाई का गुल्लक टूटा था |

क्लास टीचर ने शोभित को समझाया ..... " रसीद सम्हाल के रखना | यह तुम्हारा प्रूफ है पैसे देने का | कल तुमको कोई बोलेगा कि तुमने नहीं दिया रूपये तब |"

आखिर पिता को बिना बताये छात्र ने अपने गुल्लक के पैसों द्वारा फाईन दे कर खुद को सजा ही दिया था |

" ऐसे कैसे बोल देगा कोई " शोभित ने आंख निकाल कर कहा |







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