आठवीं कक्षा सिरदर्द कक्षा थी स्कूल की |
छात्रों को
नित नई शैतानी सूझती रहती थी | शोभित यद्यपि पढ़ाई में अच्छा था पर हर शैतानी में
उसका नाम प्रथम स्थान में रहता था | इसका भी एक कारण था | वह निडर था | जहां सब
छात्र बच कर निकल जाते थे वहां शोभित पकड़ लिया जाता था | आर्मी की कालोनी में रहता
था |
सभी शिक्षक
जानते थे कि शोभित केवल अपने पिता से ही डरता है |
एक बार
प्रिंसिपल ने शोभित के पिता को बुलवा भेजा था | उन्होंने शोभित की शैतानी की
शिकायत उनसे की |
शोभित के पिता
पहले तो सुनते रहे शिकायतें फिर उलट के प्रधानाध्यापिका से ही कड़ी आवाज में बोल
पड़े ....
" टीचर
कक्षा में मौजूद है तो बच्चे कैसे शैतानी करते हैं ........ टीचर में कमी
होगी "
घर में बड़ी
पिटाई पड़ती थी शोभित को | उसका बड़ा भाई भी उसी विद्यालय में पढ़ता था | वही सब
बातें टीचरों को बताया करता था |
एक दिन इंग्लिश टीचर छुट्टी पर थी |
एडजस्टमेंट
टीचर के कक्षा में पहंचने से पहले ही पूरी कक्षा बाहर निकल गयी | कक्षा खाली थी |
जब बच्चों को ढूंढने वह स्कूल के ग्राउंड में गयी तो उसे देखते ही सब बच्चे भागे
दुसरे तरफ से घूम कर कक्षा में घुसने के लिए | साकेत तो राह की कंटीली झाड़ियों पर
गिर पड़ा |
दृश्य
हास्यास्पद था | टीचर परेशान थी | जब वह कक्षा में पहुंची तो सब छात्र चुपचाप बैठे
थे |
आखिर कितना
डांटा जाय बच्चों को |
इधर कुछ दिनों
से शोभित शांत रहने लगा था | चुपचाप कक्षा की पीछे की सीट पर बैठा रहता था |
कक्षा भी
शांत हो गयी थी | शायद वार्षिक परीक्षा का
भय पैदा हो गया था छात्रों में |
पर यह शांति
ज्यादा दिन नहीं टिकी |
सरस्वती पूजा
के समय हंगामा हो गया | आठवीं कक्षा उपर के हल में थी | पूजा का डेकोरेशन चल रहा
था |
इसी बीच उपर
से धूमधाम की आवाज आयी |
कुछ बच्चे
दौड़ते हुए उतरे |
उठा कर खेल
रहे थे कुसियों से बच्चे | एक ने जोर से फेंकी फाईबर की कुर्सी और कुर्सी बेचारी
गिर कर लंगड़ी हो गयी |
अब क्लास टीचर
परेशान |
प्रिंसिपल से
उसे ही चार बातें सुननी थी |
" आपकी
कक्षा के बच्चे बड़ी शैतानी करते हैं ...."
कोई छात्र
कुर्सी तोड़ने वाले छात्र का नाम बता ही नहीं रहा था |
पूरी कक्षा को
सजा के तौर पर फाईन लगा | हर बच्चे को डेढ़ सौ रूपये |
वैसे कुर्सी
का मूल्य मात्र पन्द्रह सौ रूपये थे पर यहां तो सजा मिली थी | इस सजा से फायदा ही
था स्कूल को | पचास बच्चों से फाईन लेने पर स्कूल को साढ़े सात हजार मिल रहा था |
इसी बीच सुधीर
आ कर बोला ........" टीचर कुर्सी शोभित से टूटी है | वह बोलता है आकर आपसे
अपनी गलती मान लेगा | "
शोभित ने
क्लास टीचर से अपनी गलती के लिए माफी मांग
ली |
अब उसे
प्रिंसिपल के सामने जा कर माफी मांगना था |
प्रिंसिपल के
आफिस से उसे कुर्सी का मूल्य जमा कर देने को कहा गया आफिस में |
दुसरे दिन
शोभित केवल एक हजार रूपये लाया और क्लास टीचर से बोला .... " टीचर यह रुपया
मैं अपना गुल्लक तोड़ कर लाया हूं | "
इस बार फिर
उसे फिर प्रिंसिपल के पास भेजा क्लास टीचर ने क्यों कि वह पूरे पैसे नहीं लाया था
|
डर के मारे
उसने प्रिंसिपल से कहा ...." मैडम ! आज तो मैं केवल हजार रूपये लाया हूं |
"
" कोई
बात नहीं ...कल लाकर एक साथ जमा कर देना | " प्रिंसीपल ने फाईल से आंखें उठा
कर कहा |
दुसरे दिन
शोभित बाकी रूपये का इंतजाम कर लिया |
इस बार शायद
शोभित के बड़े भाई का गुल्लक टूटा था |
क्लास टीचर ने
शोभित को समझाया ..... " रसीद सम्हाल के रखना | यह तुम्हारा प्रूफ है पैसे
देने का | कल तुमको कोई बोलेगा कि तुमने नहीं दिया रूपये तब |"
आखिर पिता को
बिना बताये छात्र ने अपने गुल्लक के पैसों द्वारा फाईन दे कर खुद को सजा ही दिया
था |
" ऐसे
कैसे बोल देगा कोई " शोभित ने आंख निकाल कर कहा |