Sunday, December 29, 2013

एक गधे की कामना ( लोक कथा )

एक गधे के दो बच्चे थे |

जब वे गधे के बच्चे थोड़ा बड़े हुए तो गधे के मालिक ने उन्हें बेच दिया |

मालिक ने एक बच्चे को धोबी के घर बेचा और दुसरे को सर्कस में | इस प्रकार वे दोनों भाई एक दुसरे से बिछड़ गये |

दस वर्ष बाद वे दोनों गधे के बच्चे फिर एक दुसरे से मिले | अब वे दोनों बड़े हो चुके थे |

" अरे ! तुम कितने दुबले हो गये हो ? " सर्कसवाला गधा अपने भाई को देख दुखी मन से कह उठा |

" पर तुम कितने मोटे ताजे हो | " धोबी के घरवाला गधा कह उठा |

" हां .. जहाँ मैं रहता हूँ वहां बहुत से जानवर रहते हैं | सबको भरपेट खाना मिलता है | हमारे यहां डाक्टर भी आता है | हम बीमार होते हैं तो हमें दवा भी देता है | .... पर हमें यहां वहां बहुत भटकना पड़ता है .. देखो मेरे  खुर कितने घिस गये हैं पर तुम्हारे खुर कितने चमकीले हैं | "

" हां .. सचमुच तुम्हारे खुर घिस गये हैं ... ऐसा करो तुम सर्कस छोड़ कर मेरे पास आ जाओ ...हमलोग साथसाथ रहेंगे | "

" हां ... तुम्हारी बात सही है ...मैं कुछ दिन बाद तुम्हारे पास आ जाऊँगा .... असल में न हमारे सर्कस में एक सुन्दरी है ... वह हवा में उड़ती है ...एक बार जब वो गिरी नीचे तो हमारे मास्टर ने उसे जाल में बचा लिया .. पर वह उसे एक चपत मारते हुए बोला  कि अब दुबारा वह इस प्रकार गिरेगी तो उसकी शादी वह एक गधे से करा देगा ... वो मास्टर बहुत जिद्दी है ...जो बोलता है उसे कर के  दिखाता है .... इस बार जब वो लड़की नीचे गिरेगी तो मेरी शादी जरुर उस लड़की से हो जायेगी फिर मैं आ कर तुम्हारे साथ रहूँगा | "


फिर मिलने की आशा में दोनों गधे अपने अपने मालिक के पास चले गए 

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