Sunday, October 27, 2013

अकेलापन सरक आया जीवन में

उसने बस यूँ ही कल्पना को फोन किया था | गप्पें मरने का दिल कर रहा था उससे |


" सुना तुमने ! सुलभा के पिता का एक्सीडेंट में स्पॉट डेथ हो गया है ? " कल्पना फोन उठाते ही कहा था | वह घबरा गयी थी सुन कर  यह खबर |

सुलभा दस वर्ष पूर्व उसकी सहकर्मी थी | उसका भाई कैंसर के लास्ट स्टेज में था |

" बेटे के वे अस्पताल में भर्ती कर के लौट रहे थे तभी राह में एक पैदल सवार को बचाने में उनका स्कूटर डगमगा गया  और वे गिर पड़े | ब्रेन में चोट लग गयी |...हास्पिटल में ले जाने पर उन्हें मृत घोषित कर दिया गया |... आई०  सी०  यू० से बेटे को पिता के अंतिम दर्शन के लिए लाया गया तो बेटे के भी प्राण पखेरू उड़ गये | .....कल ही दाह संस्कार हुआ है पिता पुत्र दोनों का | " कल्पना ने आगे बताया |

वह सन्न थी इस खबर पर | घर में मात्र माँ और सुलभा | कैसे कट रहे होंगे दिन ?...इसके आगे वह सोंच नहीं पाई | शाम भारी हो गयी थी उसकी |




               

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