" बाबा !
मुंह खोलिए | " छठी कक्षा में
पढ़नेवाली पोती श्रेया ने कहा | उसके बाबा हमेशा घर के बरामदे में लेटे रहते थे आंख
बंद कर के | श्रेया की कमाई उसे स्कूल में मिला मुफ्त का नाश्ता था | उसे हर रोज
स्कूल में दो केला और चार बिस्कुट मिलते थे | बिस्कुट वो कापी के पन्नों के बीच
में रख कर लाती थी अपने दादा के लिए |
" क्या
है ? "
" दादा
जी ! बिस्कुट है | मैं आपके लिए स्कूल से लाई हूँ | "
दादा जी मुंह
खोल देते थे | उस खुले मूंह में बिस्कुट डालने में उसे बड़ा आनंद आता था |
इस घटना की
मिठास बीस वर्ष बाद आज के दिन भी श्रेया के मन
में मौजूद है |
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