"
बेटा ! लाकर की चाभी कहां रख कर गये ? " सुनीता देवी परेशान हो कर बोली |
" क्या
करोगी लाकर की चाभी ? " फोन से आवाज आयी दिवेश की |
" मुझे
दूसरा कान का पहनना है | "
फोन कट गया |
पिता के गुजर जाने के बाद उसकी अलमारी दिवेश ने ठीक
से जमा दिया था | अब आलमारी के लाकर की चाभी जिसमें सुनीता देवी ने अपने जेवर रखे
थे मिल ही नहीं रही थी |
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