Friday, August 9, 2013

बहन एक बोझ है

संस्कृत की अध्यापिका श्रीमती श्रीनिवासन दक्षिण भारतीय का बेटा भी मां के ही विद्यालय में छठी कक्षा में पढ़ता था |
सुना था सहकर्मियों से उनके घर जाओ तो वह होटल से मंगा कर सबको नाश्ता कराती है | वह भाई भाभी के साथ रहती है | भाई भाभी जब खा कर कमरे में चले जाते हैं तब अपना खाना निकाल कर बेटे के साथ खाती है |
" आप के पति कब एक्सपायर हुए ? " वह ससंकोच पूछ बैठी उस संस्कृत की अध्यापिका से एक दिन कामन रूम खाली पा कर |  उसने सहज ढंग से उसने उत्तर दिया |
" दीदी ! मेरे पति रेलवे में काम करते थे |शादी के एक माह बाद ही एक्सीडेंट हो गया मेरे पति का | मेरे पिता ससुराल से मुझे लाकर अपने पास रख लिए | जिस घर में मैं रहती हूँ उसे मेरे पिता ने मेरे और मेरे भाई के नाम कर दिया था | पर कौन पूछता है बहन को ? मेरा बेटा बड़ा हो जायेगा तब मैं अपने लिए एक अलग घर खरीद लूंगी | "

तीन वर्ष बाद उस शहर को छोड़ कर चली गयी वह |
दस वर्ष बाद एक दिन उस संस्कृत की अध्यापिका की खबर मिली |

उस शिक्षिका ने जमीन खरीद कर अपना घर बनवा लिया है और उसका बेटा कालेज में पढ़ रहा है |

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