दामाद
के गुजर जाने के बाद पिता ने अपने घर में इकलौती बेटी राजश्री को रख लिया |
पिता की मृत्यु के बाद भाई ने बहन को आउट हाउस में
जगह दे दी | घर में रहने से घर के हक की समस्या थी | फिर आउट हाउस तो गैरेज के उपर
छोटा सा एक कमरे का मकान था | गैरेज ऐसी जगह बना था जहां कमरा बनाने का परमिशन ही नहीं था | जब वह गैरेज
टूटता तो राजश्री को स्वयं उस कमरे को छोड़ना ही पड़ता | लोगो की निगाह में भी अच्छा
बना भाई | वैसे भी महिलाओं की समस्या से निगाह मोड़ने की सबकी आदत है |
प्राइवेट संस्थान में कम तनख्वाह थी मुश्किल से
चला घर और मान अपमान ताक पर रख के बीमारी आरामी झेलते झेलते अपनी दोनों बेटियों की
राजश्री ने देख रेख की |
" माँ !
मैंने एक मकान देख लिया है | तीन कमरे का मकान है |..हमलोग वहीं शिफ्ट हो जायेंगे
|...सम्मान पूर्वक मुहल्ले में तो रहेंगे |...चिंता न करो माँ हम दोनों काम कर रहे
हैं |...प्राईवेट नौकरी ही सही | एक की छूटेगी तो दुसरे की तो रहेगी न | "
तीनों प्राणी
एक नई जिन्दगी की आशा में उस आउट हाउस को छोड़ दिए |
उस आउट
हाउस में भाई ने नौकरानी के परिवार को जगह
दे दी |